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हाइवे का काम छोड़ा अधूरा, बीएचपीएल कम्पनी के अध्यक्ष पर दर्ज हुआ मुकदमा

एनएचएआई के परियोजना निदेशक मुकेश शर्मा की तहरीर पर फरीदपुर थाने में कम्पनी के अध्यक्ष एचएस भड़ाना को नामजद किया गया है।

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NH 24

हाइवे का काम छोड़ा अधूरा, बीएचपीएल कम्पनी के अध्यक्ष पर दर्ज हुआ मुकदमा

बरेली। 2600 करोड़ की लागत से बन रहे बरेली सीतापुर हाइवे का निर्माण कार्य अधूरा छोड़ कर फरार होने वाली कम्पनी बरेली हाइवे प्रोजकेट लिमिटेड के अध्यक्ष पर फरीदपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है। एनएचएआई के परियोजना निदेशक मुकेश शर्मा की तहरीर पर फरीदपुर थाने में कम्पनी के अध्यक्ष एचएस भड़ाना को नामजद किया गया है। तहरीर में एनएच 24 पर बन रहे बरेली -सीतापुर हाइवे का काम अधूरा छोड़ने और बारिश में क्षतिग्रस्त हुए हाइवे की मरम्मत न कराने का आरोप लगाया गया है। शिकायत में खराब गुणवत्ता के साथ ही क्षतिग्रस्त हुए हाइवे पर दुर्घटना का भी अंदेशा जताया गया है। पुलिस ने कम्पनी के अध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

कार्य अधूरा छोड़ा

एनएचएआई के परियोजना निदेशक ने थाने में दी तहरीर में कहा गया है कि बीएचपीएल कम्पनी को एनएच 24 पर बरेली- सीतापुर के फोरलेन निर्माण का कार्य दिया गया था। कम्पनी को 2013 तक निर्माण कार्य पूरा करना था। लेकिन कम्पनी सात साल भी निर्माण कार्य पूरा नहीं कर पाई और अधबने हाइवे की देखभाल भी नहीं कर रही है। कम्पनी अधूरा कार्य छोड़ कर फरार हो गई। जिससे सरकार को काफी नुकसान हो रहा है। इतना ही नहीं पिछले दिनों हुई बारिश के कारण हाइवे क्षतिग्रस्त हो गया जिससे दुर्घटना का भी खतरा बढ़ गया है।पीडी की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है।एनएचएआई के अफसरों का कहना है कि बरेली के बाद जिन जिलों से हाइवे गुजर रहा है वहां भी एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।

2011 में बनना शुरू हुआ फोरलेन

जनता का लखनऊ तक का सफर आसान करने के लिए बरेली से सीतापुर तक 157 किलोमीटर फोरलेन हाइवे का निर्माण 2011 में शुरू हुआ था। इस हाइवे का निर्माण कार्य 26 अगस्त 2013 तक पूरा किया जाना था। पीपीपी मोड पर बन रहे इस हाइवे की लागत करीब 2600 करोड़ है। एनएचएआई ने इस हाइवे को बनाने का ठेका बरेली हाइवे प्रोजेक्ट लिमिटेड दिया गया था। काम शुरू होने के बाद इस पर कई बार काम बंद हुआ और हाइवे की लागत बढ़ती चली गई। पांच माह पहले इस फोरलेन का कार्य करीब 80 प्रतिशत तक पूरा हो चुका था। सात साल बाद भी हाइवे का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है।


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