
पीलीभीत। नगर पालिका परिषद पीलीभीत में एफडीआर घोटाले में संलिप्त पाई गई बरेली की चार निर्माण एजेंसियों को अब केवल पीलीभीत ही नहीं, बल्कि अन्य जिलों और विभागों में भी काम मिलने की संभावनाएं क्षीण हो गई हैं। संबंधित अधिकारियों द्वारा तैयार की गई विस्तृत रिपोर्ट को निर्माण कार्यों से जुड़े 12 विभागों और निकायों को भेज दिया गया है, जिससे इन फर्मों के विरुद्ध समुचित कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
यह मामला तब सामने आया जब नगरपालिका में निविदा प्रक्रिया के दौरान पूर्व में अन्य कार्यों के लिए जमा कराई गई एफडीआर (फिक्स्ड डिपॉजिट रिसीट) का अनुचित ढंग से पुनः उपयोग किया गया। इस कृत्य के माध्यम से टेंडर प्रणाली को भ्रमित कर अनुचित लाभ प्राप्त करने का प्रयास किया गया। तत्कालीन अवर अभियंता इंद्रजीत सिंह ने इस पूरे मामले की जांच कर एक रिपोर्ट तैयार की और उप जिलाधिकारी सदर आशुतोष गुप्ता को सौंप दी। एसडीएम ने जांच के बाद अनियमितता की पुष्टि की और मामले को लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के पास भेजते हुए टिप्पणियां मांगीं।
लोक निर्माण विभाग ने इस मामले को गंभीर लापरवाही मानते हुए इसे प्रहरी पोर्टल पर पहले से दर्ज एक समान घटना के संदर्भ में दोषसिद्ध पाया। इसके आधार पर पीलीभीत नगर पालिका में कार्यरत चार फर्मों को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया।
इन फर्मों को नगरपालिका के सभी निर्माण कार्यों से तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया गया है।
एसडीएम और प्रभारी अधिशासी अधिकारी आशुतोष गुप्ता के अनुसार, इस घोटाले में शामिल फर्मों की जानकारी जिले के डीएम के साथ-साथ 11 अन्य विभागों — जैसे लोक निर्माण विभाग (PWD), ग्रामीण अभियंत्रण सेवा (RES), शारदा सागर खंड, विद्युत विभाग, जल निगम, मंडी समिति, गन्ना विभाग और सभी नगर निकायों के प्रमुखों को भेजी गई है। इसके अलावा सभी निर्माण लिपिकों और कार्यदायी संस्थाओं को भी पत्र जारी कर इन फर्मों से बचने के निर्देश दिए गए हैं।
भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने और जवाबदेही तय करने के लिए रिपोर्ट में विधिक कार्रवाई की सिफारिश भी की गई है। इस सख्त कदम से निर्माण एजेंसियों के बीच खलबली का माहौल बन गया है।
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Published on:
28 May 2025 12:40 pm
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