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बरेली की कमिश्नरी में 257 क्रांतिकारियों को दी गयी थी फांसी 1838 में हुआ था निर्माण ईस्ट इंडिया कंपनी के लोग जब ब्रिटिश सरकार का अंग बन चुके थे, तब उन्होंने ईसाई समुदाय से धन एकत्र कर सन 1838 में इस चर्च का निर्माण कराया। ब्रिटिश बिशप डैनियल विल्सन डी डी कोलकाता से यहां आए और चर्च का निर्माण किया। जिसके बाद ये चर्च अंग्रेजों का प्रमुख अड्डा बन चुका था। 1857 का संग्राम जब शुरू हुआ तो क्रांतिकारियों की नजर इस चर्च पर पड़ी और 31 मई 1957 को चर्च पर हमला कर दिया गया। रुहेलों ने चर्च पर हमला किया और चर्च के पादरी डेनियल विल्सन के पूरे परिवार समेत 40 अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया। और चर्च को ध्वस्त कर दिया। जंग का प्रारंभ फतेहगंज पश्चिमी से हुआ था। गदर में इस चर्च के प्रशासनिक अधिकारी जार्ज डेवी रेक्स समेत प्रार्थना कर रहे ईसाई समुदाय के 40 लोगों की हत्या कर दी गई।मरने वालों में तत्कालीन पादरी, उनकी पत्नी और आठ वर्षीय बेटा भी था। पादरी और उनके परिवार की कब्रें आज भी चर्च परिसर में बनी हैं।
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क्रांतिकारियों का गढ़ था बरेली कॉलेज, छात्र ही नहीं शिक्षक भी शामिल हुए थे आजादी की लड़ाई में बंदूक ले जाने की मिली इजाजत रुहेलों के इस हमले के बाद चर्च में बंदूक ले जाने की इजाजत दी गई। बंदूक टांगने के लिए चर्च में नई बैंच लगाई गई जिसमे बंदूक टांगने का कुंडा भी लगाया गया।