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हर मस्जिद के नीचे मंदिर? मौलाना रजवी बोले- बयान निंदनीय, शरीयत का अपमान बर्दाश्त नहीं

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी के विवादित बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि देश की मस्जिदों को लेकर इस तरह की टिप्पणी न केवल इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करना है, बल्कि समाज में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देना भी है।

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बरेली। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी के विवादित बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि देश की मस्जिदों को लेकर इस तरह की टिप्पणी न केवल इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करना है, बल्कि समाज में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देना भी है।

जमाल सिद्दीकी ने हाल ही में संभल में एक जनसभा के दौरान कहा था कि भारत में जिस मस्जिद को खोदोगे, उसके नीचे मंदिर निकलेगा। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने इसे "गंभीर रूप से आपत्तिजनक और निंदनीय बताया।

मस्जिद निर्माण का स्पष्ट शरीयत आधारित ढांचा है: मौलाना

मौलाना ने स्पष्ट कहा कि इस्लाम में मस्जिद निर्माण के लिए शरीयत के सख्त नियम हैं। किसी भी सरकारी ज़मीन, विवादित स्थल, या बिना मालिकाना हक वाली जमीन पर मस्जिद नहीं बनाई जा सकती। उन्होंने बताया कि मस्जिदें साफ और वैध जमीन पर बनाई जाती हैं। उनमें धार्मिक शुचिता का पूरा ध्यान रखा जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि देश में ज्यादातर मस्जिदें वैध, साफ-सुथरी ज़मीन पर बनाई गई हैं। एक-दो अपवादों को छोड़कर भारत में अधिकांश मस्जिदें किसी भी मंदिर को गिराकर नहीं बनाई गईं। जो लोग इस तरह की बातें करते हैं, वे न तो इतिहास को जानते हैं और न ही शरीयत की बुनियादी शिक्षाओं को।

मुसलमानों को संविधान सम्मत आज़ादी है, मगर शरीयत का अपमान बर्दाश्त नहीं

मौलाना रजवी ने आगे कहा कि भारत का संविधान हर नागरिक को राजनीतिक पार्टी चुनने और उसमें शामिल होने का अधिकार देता है। हर मुसलमान अपनी पसंद की पार्टी में रह सकता है और अपने उद्देश्यों की पूर्ति कर सकता है, लेकिन यदि कोई शरीयत के खिलाफ टिप्पणी करता है चाहे वह मुसलमान हो या गैर मुस्लिम तो वह बर्दाश्त के काबिल नहीं है। मौलाना ने इस पूरे प्रकरण को धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला बताते हुए कहा कि "ऐसे बयान सामाजिक सौहार्द्र को बिगाड़ सकते हैं, और सरकार को चाहिए कि इस पर संज्ञान ले।