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कैमरे में कैद हो रही बाघिन लेकिन वन विभाग की पकड़ से है दूर

-फतेहगंज पश्चिमी इलाके में बन्द पड़ी रबड़ फैक्ट्री को एक बाघिन ने अपना ठिकाना बना रखा है - गुरुवार को भी बाघिन की कई तस्वीरें रबड़ फैक्ट्री परिसर में लगाए गए कैमरों में कैद हुई है - बाघिन को पकड़ने के लिए पिंजरा भी लगाया जा चुका है लेकिन विभाग को सफलता नहीं मिल पाई है

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कैमरे में कैद हो रही बाघिन लेकिन वन विभाग की पकड़ से है दूर

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बरेली। जिले में इस समय कोरोना (corona virus) के साथ ही एक बाघिन (tigress ) भी लोगों के खौफ का कारण बनी हुई है। फतेहगंज पश्चिमी इलाके में बन्द पड़ी रबड़ फैक्ट्री को एक बाघिन ने अपना ठिकाना बना रखा है। बाघिन की लोकेशन ट्रेस करने के लिए वन विभाग (Forest department) द्वारा लगाए गए कैमरों (cctv) में तो बाघिन कैद हो रही है लेकिन वो वन विभाग की पकड़ से दूर है। गुरुवार को भी बाघिन की कई तस्वीरें रबड़ फैक्ट्री परिसर में लगाए गए कैमरों में कैद हुई है। वन विभाग काफी दिनों से बाघिन को पकड़ने की कोशिश कर रहा है। बाघिन को पकड़ने के लिए पिंजरा भी लगाया जा चुका है लेकिन विभाग को सफलता नहीं मिल पाई है। अफसरों का कहना है कि जल्द ही बाघिन को ट्रेंक्यूलाइज कर पकड़ लिया जाएगा।

जंगल से भटक कर पहुंची बाघिन

पड़ोसी जिले पीलीभीत में टाइगर रिजर्व है। यहाँ पर काफी तादात में बाघ पाए जाते हैं। अक्सर बाघ शिकार की तलाश में जंगल से बाहर भी आ जाते हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि ये बाघिन भी जंगल से भटक कर रबड़ फैक्ट्री में आ गई है। रबड़ फैक्ट्री कई एकड़ में फैली हुई है और यह वर्षों से बंद पड़ी है जिसके कारण यहाँ पर भी जंगल हो गया है और यहाँ रहने वाले जंगली जानवर बाघिन का आसान शिकार है जिसके कारण बाघिन ने इसे अपना ठिकाना बनाया हुआ है।

बाघिन को भी खतरा

रबड़ फैक्ट्री में रह रही बाघिन की भी जान को खतरा है क्योकि इसी फैक्ट्री से निकले तेंदुए की हाइवे पर अज्ञात वाहन से कुचल कर मौत हो गई थी। जिसके कारण वन विभाग की टीम जल्द से जल्द बाघिन को पकड़ने की कोशिश कर रही है। बाघिन की लोकेशन जानने के लिए जगह जगह पर कैमरे भी लगाए गए हैं और ड्रोन कैमरे की भी मदद ली जा रही है। बाघिन को ट्रेंकुलाइज करने के लिए एक्सपर्ट की टीम ने रबड़ फैक्ट्री में डेरा डाल दिया है।

पहले भी पकड़ा गया बाघ

वर्ष 2018 में भी एक बाघ ने यहाँ पर अपना ठिकाना बनाया था जिसे वन विभाग ने कड़ी मशक्कत के बाद पकड़ा था और बाघ को पकड़ने के बाद उसे कानपुर के चिड़िया घर भेजा गया था। ये बाघ भी पीलीभीत के जंगल से भाग कर रबड़ फैक्ट्री पहुंचा था और उसने यहां पर अपना ठिकाना बना लिया था।


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