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धनतेरस पर दीपदान का है बड़ा महत्त्व, यम देव होते हैं प्रसन्न, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

स्कन्द पुराण के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रियोदशी के प्रदोष काल में यमराज के निमित्त दीप और नैवेध समर्पित करने पर अपमृत्यु अथवा अकाल मौत का नाश होता है।

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time and puja vidhi of yum deepdaan on dhanteras 2018

धनतेरस पर दीपदान का है बड़ा महत्त्व, यम देव होते हैं प्रसन्न, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

बरेली। दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। धनतेरस से ही दीपावली के पांचदिवसीय पर्वों की शुरुआत हो जाती है जो भाई दूज तक चलता है।इस बार पांच नवंबर सोमवार को हस्तनक्षत्र , सोम प्रदोष में धनतेरस का होना महत्वपूर्ण माना जा रहा है।इस दिन चुर्तमास की समाप्ति होगी। धनतेरस पर हस्तनक्षत्र रात्रि 8ः37 बजे तक रहेगा एवं त्रियोदशी तिथि पूरे दिन रहेगी। बाला ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्मा ने बताया कि धनतेरस पर दीपदान का बहुत महत्त्व है। स्कन्द पुराण के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रियोदशी के प्रदोष काल में यमराज के निमित्त दीप और नैवेध समर्पित करने पर अपमृत्यु अथवा अकाल मौत का नाश होता है। ऐसा स्वयं यमराज ने कहा है।

कैसे करें दीप दान

यमदीप दान केवल प्रदोष काल मुहुर्त सायं 5ः33 बजे से सांय 06ः45 बजे तक ही करें। यमदीप दान के लिए मिट्टी का एक बड़ा दीपक लेकर उसको स्वच्छ जल से धोने के बाद उसमें दो रूई की बत्तियां बनाकर (चैमुखा दीपक) उसे तिल के तेल से भर दें एवं उसमें कुछ काले तिल भी डाले प्रदोष काल में तैयार किए गए दीपक का रोली, अक्षत एवं पुष्प से पूजन करें उसके बाद घर के मुख्य द्वार पर गेहू अथवा खील की ढेरी बनाकर उसके ऊपर दीपक रखकर ’’मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह। त्रयोदशां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतामित’’ मंत्र पढ़कर प्रार्थना करे।

मन्त्रोचारण के पश्चात हाथ में पुष्प लेकर ’’ऊँ यमदेवाय नमः। नैवेधं निवेदयामि’’

मंत्र का उच्चारण करते हए यमदेव को दक्षिण दिशा में नमस्कार करें।
इसके उपरान्त हाथ मे थोड़ा सा जल लेकर आचमन के निमित्त ’’ऊँ यमदेवाय नमः। आचमनायैं जलं सर्मपयामि। मन्त्र बोलकर दीपक के पास छोड़ दें। अब पुनः यमदवे को ’’ऊँ यमदेवायं नमः’’ कहते हुए दक्षिण दिशा में नमस्कार करें।