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World Autism Awareness Day: जानिए ऑटिज्म के लक्षण, कारण और कैसे करें बचाव

इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए दो अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाया जाता है।

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World Autism Awareness Day: जानिए ऑटिज्म के लक्षण, कारण और कैसे करें बचाव

World Autism Awareness Day: जानिए ऑटिज्म के लक्षण, कारण और कैसे करें बचाव

बरेली। ऑटिज्म आत्मविमोह या स्वलीनता एक मानसिक बीमारी है जो एक प्रकार का न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर है जो जन्म के समय या उसके शीघ्र बाद आरंभ होने वाली जीवन भर की एक मानसिक विकलांगता है।इस बीमारी के लक्षण बचपन से ही नजर आने लग जाते हैं इस रोग से पीड़ित बच्चों का विकास तुलनात्मक रूप से धीरे होता है।ये जन्म से लेकर तीन वर्ष की आयु तक विकसित होने वाला रोग है जो सामान्य रूप से बच्चे के मानसिक विकास को रोक देता है।बच्चे के जन्म के छह माह से एक वर्ष के भीतर ही इस बीमारी का पता लग जाता है कि बच्चा सामान्य व्यवहार कर रहा है या नहीं।विश्व भर में इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए दो अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाया जाता है। इस दिन उन बच्‍चों और बड़ों के जीवन में सुधार के कदम उठाए जाते हैं,जो ऑटिज़्म ग्रस्‍त होते हैं और उन्‍हें सार्थक जीवन बिताने में सहायता दी जाती है।

ऑटिज्म के लक्षण

बच्चे का देरी से बोलना सीखना

बोलने में कठिनाई,सामाजिक बातचीत के साथ कठिनाई

बहुत ही कम चीजों में रुचि व एक ही व्यवहार को बार बार दोहराना

ऑटिज्म के रोगी में आईक्यू लेवल अन्य से अलग होता है

ऑटिज्म के रोगी को मिर्गी के दौरे भी पड़ सकते हैं।

ऑटिज्म के कारण

पर्यावरण या जेनेटिक प्रभाव कोई भी इसका कारण हो सकता है। कुछ शोध प्रेग्नेंसी के दौरान मां में थायरॉएड हॉरमोन की कमी को भी कारण मानते हैं।इसके अतिरिक्त समय से पहले डिलीवरी होना भी एक कारण है
गर्भावस्था में पोषक तत्वों में कमी के कारण बच्चों में ऑटिज्म हो सकता है। लाइफ आर्ट एक्सपर्ट विशेष कुमार ने बताया कि बच्चे के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचाने वाली कोई भी चीज ऑटिज्म का कारण बन सकती है।उन्होंने बताया मन मस्तिष्क में बहुत सारे साइकिक इंप्रेशन होते हैं ये इम्प्रैशन पूर्व जन्म के भी होते हैं और इस जन्म के भी जिससे इस प्रकार की समस्याएं पैदा हो जाती हैं। गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक स्मार्ट फोन का प्रयोग भी नुकसान पहुंचा सकता है मोबाइल से निकलने वाला रेडिएशन बेहद खतरनाक होता है।गर्भवती महिलाओं को इसके साथ साथ ग्रहण काल मे भी विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

हिप्नोसिस और सव कॉन्शियस माइंड से बचाव है सम्भव

हिप्नोसिस,एनर्जी साइंस,हीलिंग साइंस के जरिये लाइफ आर्ट के एक्सपर्ट विशेष कुमार अब तक सैकड़ो लोगों को डिप्रेशन,फोबिया,एनजाईटी,स्ट्रेस,इंसोमेनिया जैसी तमाम मानसिक परेशानियों से बाहर निकालने में सक्षम रहें हैं।विशेष कुमार बताते हैं यदि शुरू में ही ध्यान दिया जाए तो ऑटिज्म जैसी मानसिक बीमारी पर भी लगाम लगाई जा सकती है उन्होंने बताया गर्भावस्था काल में महिलाओं को चाहिए तनावमुक्त रहने के साथ साथ उचित खान पान पर विशेष ध्यान दें योग प्राणायाम ध्यान जरूर करें जिसके माध्यम से सातों चक्रों में संतुलन आता है जिससे गर्भ में पल रहे शिशु को भी फायदा मिलता है। विशेष कुमार ने बताया 9 माह के गर्भावस्था काल में नौ ग्रहों का विशेष महत्व होता है प्रत्येक माह में प्रत्येक ग्रह का एक अपना कार्य व असर होता है।इस पर भी लोगो को ध्यान देना चाहिए। शरीर के भीतर मौजूद सातों चक्रों के असंतुलित होने या ब्लॉक होने पर भी। ऑटिज्म जैसी समस्या हो सकती है। जिसका संबंध आज्ञा चक्र और मणि पूरक चक्र से है।


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