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राज्य में 8 लाख और बाड़मेर में 60 हजार हो गए ऑटो रिजेक्ट

मजदूर को कंप्यूटर का खेल समझ में नहीं आ रहा था और वे इस ऐतबार के साथ बैठे रहे कि उनके होनहारों को छात्रवृत्ति मिल जाएगी और इधर सिस्टम मैसेज-मैसेज का खेल खेलकर 90 दिन की अवधि समाप्त होते ही ऑटो रिजेक्ट कर रहा था। 60 हजार मजदूरों के पुत्र-पुत्रियों के आवेदन केवल बाड़मेर जिले में ऑटो रिजेक्ट हुए है और प्रदेश में यह आंकड़ा 8 लाख के पार है।

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राज्य में 8 लाख और बाड़मेर में 60 हजार हो गए ऑटो रिजेक्ट

राज्य में 8 लाख और बाड़मेर में 60 हजार हो गए ऑटो रिजेक्ट



बाड़मेर पत्रिका.
मजदूर को कंप्यूटर का खेल समझ में नहीं आ रहा था और वे इस ऐतबार के साथ बैठे रहे कि उनके होनहारों को छात्रवृत्ति मिल जाएगी और इधर सिस्टम मैसेज-मैसेज का खेल खेलकर 90 दिन की अवधि समाप्त होते ही ऑटो रिजेक्ट कर रहा था। 60 हजार मजदूरों के पुत्र-पुत्रियों के आवेदन केवल बाड़मेर जिले में ऑटो रिजेक्ट हुए है और प्रदेश में यह आंकड़ा 8 लाख के पार है।
निर्माण श्रमिक शिक्षा एवं कौशल योजना के तहत मजदूर पुत्र-पुत्रियों को छात्रवृत्ति मिलने का विश्वास राज्य सरकार ने बंधाया तो प्रदेश में 22 लाख 71117 ने आवेदन किया। आवेदन ई मित्र के जरिए मजदूरों ने किया और इसके बाद इनके कागजात में कमी को लेकर आक्षेप लगा दिए गए और 90 दिन की अवधि में मजदूरों ने इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी तो सिस्टम ने इसे ऑटो रिजेक्ट कर दिया। यह संख्या 90 फीसदी बताई जा रही है यानि प्रदश्ेा में निरस्त हुए 961154 में से करीब 8 लाख है। बाड़मेर जिले में 60 हजार के करीब है।
मजदूर बेखबर ही रहे
ऑन लाइन प्रक्रिया पूरी होने के बाद 2020-21 में हुए ऑटो रिजेक्ट को लेकर अधिकांश मजदूरों की अनभिज्ञता रही है। उनको पता ही नहीं चला कि कब संदेश आया और कब गया? वे अपने खाते में राशि आने का इंतजार कर रहे थे और इधर सिस्टम उनके आवेदन बड़ी संख्या में निरस्त करता गया।
90 दिन दिए पर 4000 भी नहीं पहुंचे
मजूदरों के लिए सिस्टम की यह जटिलता समझ से परे रही। शाम अस्त मजदूर मस्त की कहावत वाले मजदूरों को दिनभर मजदूरी में लगे रहने के कारण यह औपचारिकताएं पूरी करने के लिए सिस्टम की मदद चाहिए थी लेकिन सिस्टम इंतजार करता रहा कि खुद मजदूर चक्कर काटे। हालांकि ऑटो रिजेक्ट बाद 90 दिन में रिओपन का प्रावधान था लेकिन एक बार आवेदन कर रिजेक्ट आते ही मजदूरों का मन टूट गया कि सरकार उनको फायदा देना ही नहीं चाहती, वे अपनी मजदूरी से क्यों खोटी हों?
सरकार करे पुन: जांच
सरकार ऑटो रिजेक्ट हुए आवेदनों की पुन:जांच करे। इन आवेदकों की कमियों को जरिए सरकारी कार्मिक प ूरी करवाकर इनको लाभ दिलवाए। सरकार फायदा देना चाहती है तो यही तरीका है, वरना रिजेक्ट करने की मंशा थी तो फिर योजनाएं बनाई क्यों?- लक्ष्मण बडेरा, अध्यक्ष कमठा मजदूर युनियन
मेहनत और समर्पण के दम पर मजदूर हमेशा राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाते है। , इसलिए मजदूरों के परिवार कल्याण का ध्यान रखना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। इस दिशा में राजस्थान सरकार की लापरवाही निंदनीय एवं असहनीय है। मजदूर परिवारों के 95 हजार प्रतिभाशाली विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति आवेदन निरस्त होना सरकार की सहमति बिना संभव नहीं है। मुख्यमंत्री तय समय में मजदूर परिवारों के बच्चों को न्याय दिलाएं।- कैलाश चौधरी, केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री


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