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संवेदना बेपर्दा तो झूठ का लगाया पर्दा : पोस्ट-मॉर्टम के बाद, अधिकारियों ने गलती छिपाने के लिए झूठ का सहारा लिया

पत्रिका पड़ताल .

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After the post-mortem, authorities resort to lies to hide mistake

After the post-mortem, authorities resort to lies to hide mistake

गडरारोड . स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य भवन में दो महिलाओं के शवों के सड़क पर पोस्टमार्टम के बाद अधिकारी अपनी गलती छुपाने के लिए झूठ का सहारा ले रहे हैं।

1. भवन का अभाव -

अस्पताल के लिए 30 कमरों से बने भवन में करीब 200 फीट बरामदा है। इतनी बड़ी जगह में भी अधिकारियों को मानवीय संवेदनाओं के लिए एक कोना भी नहीं मिला।
2. खुले में नहीं हुआ पोस्टमार्टम -

चिकित्सकों ने पोस्टमार्टम के लिए परिसर की सड़क को चुना। यहां एक ओर पर्दा लगा था, लेकिन अन्य तीनों दिशाओं से खुला था।

3. नजदीक नहीं थी मोर्चरी -

बाड़मेर से गडरारोड की दूरी महज डेढ से दो घंटे की है। वहीं शवों को रातभर साधारण वार्ड में मरीजों के पास ही रखा गया। इस दौरान जिम्मेदारों ने उन्हें मोर्चरी तक पहुंचाना उचित नहीं समझा।
4. नहीं मानी परिजन की-

परिजन ने पोस्टमार्टम के लिए सहमति दी थी, लेकिन उन्होंने पोस्टमार्टम बाहर नहीं करने के लिए कहा। इसके बावजूद उनकी बात नहीं मानी गई।

और इधर...

चिकित्सक का तबादला रोकने की मांग

परेऊ . स्थानीय अस्पताल में चिकित्सक व अन्य स्टाफ में मतभेद के बाद चिकित्सक का स्थानान्तरण रोकने की मांग को लेकर शुक्रवार को ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि चिकित्सक कैलाश बरौलिया मरीजों की पर्ची पर अस्पताल के अंदर मिलने वाली दवाएं लिखते थे।

इससे अस्पताल के कुछ लोगों को परेशानी थी। वे बाहरी दवाएं व जांच लिखने के लिए चिकित्सक पर दबाव बना रहे थे। इसमें ग्रामीणों की ओर से समझाइश के बाद मामला सामान्य चल रहा था, लेकिन कुछ दिन बाद राजनीतिक पहुंच वाले लोगों ने उनका जालौर स्थानान्तरण करवा दिया। ग्रामीणों ने उनके तबादले को रोकने की मांग की।

राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए प्रस्ताव आमंत्रित

बाड़मेर. जिले में अस्पृश्यता उन्मूलन एवं अनुसूचित जाति के व्यक्तियों के विरुद्ध अत्याचारों के अपराधों का मुकाबला करने के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले मानवाधिकार कार्यकताओं एवं गैर सरकारी संगठनों से राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय नई दिल्ली की ओर से प्रस्ताव मांगे गए हैं। इसके तहत मानवाधिकार कार्यकर्ता को 2 लाख और संस्था को 5 लाख रुपए की राशि से पुरस्कृत किया जाएगा। पुरस्कार से संबंधित विस्तृत विवरण व जानकारी एवं आवेदन प्रपत्र सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है।