तेल-गैस खोज एवं पचपदरा रिफाइनरी का काम शुरू किया गया है। तेल-गैस को लेकर बाड़मेर में करीब पंद्रह साल से काम चल रहा है लेकिन इन कंपनियों के परिवार अब तक बाड़मेर से दूर रहे है। सुविधाओं का अभाव और अन्य कारण बताते हुए ये परिवार जोधपुर-जयपुर का तरजीह देते रहे है। इससे बाड़मेर का विकास भी प्रभावित रहा।
अब कंपनियों ने तेल अन्वेषण के अगले प्रोजेक्ट और बाड़मेर-सांचौर बेसिन में तेल के भविष्य को मद्देनजर रखते हुए इन परिवारों व कार्मिकों को यहीं बसाने का प्लान किया है। इसक लिए रागेश्वरी गैस टॢमनल गुड़ामालानी और मंगला प्रोसेसिंग टर्मिनल के लिए बाड़मेर शहर के निकट कॉलोनियां बनाई जााएगी। दोनों कॉलोनियों में करीब १५०० फ्लैट, तीन हॉस्टल, ग्रीन बैल्ट व अन्य सुविधाओं की मंजूरी मिली है।
अब तक होटल और अपडाऊन- पंद्रह साल से यहां कार्मिक किराए के मकान, होटल, अपडाऊन करते रहे है। नतीजा यह रहा कि आधे से ज्यादा लोगों ने परिवार को यहां बसाने प्लान कभी भी नहीं बनाया। पांच दिन की नौकरी के बाद परिवार के पास जाने की सोच के कारण जिले का विकास प्रभावित हुआ है।
पॉवर प्लांट की है कॉलोनी- बाड़मेर शहर में अत्याधुनिक कॉलोनी भादरेस पॉवर प्लांट की बनी है। इस कॉलोनी के बसने के बाद यहां परिवार आकर रह रहे है। पांच सौ के करीब परिवार यहां रहने से क्षेत्र का विकास भी हुआ है।
बंक हाऊस का कल्चर लाई कंपनियां-
तेल कंपनियों में काम करने वाले कार्मिकों को रहने की पूरी सुविधा की दरकार रहती है। एेसे में बाड़मेर में इस सुविधा के मकान नहीं मिलने पर बंक हाऊस का कल्चर यहां लाया गया। इसमें बंक में पूरा मकान तैयार किया जाता है जो एयरकंडीशनर भी रहते है। जहां तेल-गैस खोज का कार्य होता है वहां पर बंक पहुंचाकर वहीं पर रहते है। अब कॉलोनियां बसने से परिवार को बसने की सुविधा होगी।
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तेल कंपनियों में काम करने वाले कार्मिकों को रहने की पूरी सुविधा की दरकार रहती है। एेसे में बाड़मेर में इस सुविधा के मकान नहीं मिलने पर बंक हाऊस का कल्चर यहां लाया गया। इसमें बंक में पूरा मकान तैयार किया जाता है जो एयरकंडीशनर भी रहते है। जहां तेल-गैस खोज का कार्य होता है वहां पर बंक पहुंचाकर वहीं पर रहते है। अब कॉलोनियां बसने से परिवार को बसने की सुविधा होगी।
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