पाली पत्रिका. बाड़मेर से पाली तक का सफर…, मेरे साथ मौसम पल-पल रंग बदल रहा था। चिलचिलाती धूप में बाड़मेर से रवाना हुआ बीच रास्ते जोधपुर तक आंधियों ने घेरा तो सफर के समापन पर पाली-सुमेरपुर-तखतगढ़ में तूफानी बारिश और ओलों के साथ…देर रात चला । जहां टोलटैक्स पर मैं टोल वसूला जा रहा था, लेकिन सड़क पर तूफान से उखड़े पेड़ों से बचकर ड्राइव करना चैलेंज था। टोल कंपनियां यहां आपात स्थिति में वाहन चालकों की मदद को कहीं नजर नहीं आती है। पाली के मंडिया रोड़ पर कपड़े के कारखाने है। यहां सड़क की हालत खस्ता है, दिनभर के वाहनभार ने कागज के टुकड़ों की तरह सड़क को बिखेर दिया है। पाली-भीलवाड़ा-बालोतरा ये तीनों एक दूसरे से जुड़े है, लेकिन इन दिनों मंदी की मार ने व्यापार को झटका दिया है। टैक्सटाइल्स व्यवसायी राजूभाई फोन पर यही चर्चा कर रहे थे कि भीलवाड़ा में आज कितनी मंदी है, पूछा तो बोले कि हालत खराब है। मंदी ने मार दिया है। वे मांग रखते है कि ट्रीटमेंट प्लांट को 75 प्रतिशत सरकार दें और 25 व्यापारी तो प्रदूषण का संकट खत्म हों। पॉवरलूम के लिए महाराष्ट्र की तर्ज पर सब्सिडी भी मिले। टैक्सटाइल उद्योग की विपुल संभावनाएं है।