भाजपा सांसद कर्नल सोनाराम बाड़मेर से टिकट काटे जाने के बाद से बीजेपी से नाराज चल रहे थे। भाजपा ने सोनाराम का टिकट काटकर कैलाश चौधरी को दिया। सोनाराम ने इसको लेकर अपने आवास पर बैठक बुलाकर खुला कहा था कि भाजपा ने उन्हें दूध में से मक्खी की तरह निकालकर फेंक दिया। वे तीन बार सांसद रहे थे और उनके पास जीत का गणित था इसलिए भाजपा ने उनको जसवंतसिंह के खिलाफ उतारा था। जसवंतसिंह को हराने का करिश्मा उन्होंने ही किया था। विधानसभा चुनावों में हार का कारण भाजपा के ही लोग रहे। जिन्होंने भीतरघात किया। इसी नाराजगी के चलते कर्नल की 5 साल बाद कांग्रेस में वापसी कर रहे हैं
कर्नल सोनाराम चौधरी 1996, 1998 एवं 1999 में कांग्रेस से सांसद रहे हैं। 2004 के चुनावों में वे मानवेन्द्रङ्क्षसह के सामने चुनाव हारे थे। 2009 में उनको पार्टी ने टिकट नहीं दिया क्योंकि इससे पहले 2008 में वे बायतु से विधायक बन गए। 2014 के चुनावों में कर्नल सोनाराम कांग्रेस छोड़ भाजपा में आ गए। उन्होंने जसवंतसिंह के सामने चुनाव लड़ा और जीत गए। 2018 के चुनावों में कर्नल ने भाजपा से ही बाड़मेर से विधायक का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। इस शिकस्त के बाद उनका टिकट काट दिया गया।