गरीबी
केस-1 सूदाबेरी गांव की धापूदेवी कैंसर से पीडि़त है। इस महिला के सास-ससुर दोनों ही 85 और 90 की उम्र है जो दिव्यांग है। दो मासूम बच्चे है। धापू के कैंसर के चलते पति नगजीराम दो साल से मजदूरी पर नहीं जा पा रहा है। जो कुछ जमा पूंजी थी वो बीमारी में खर्च हो गई। खेत बिके और कर्ज चढ़ गया। अब गुजारा भी इनके लिए मुश्किल है। इस परिवार को बीपीएल में जोडऩे के लिए कई बार आग्रह किया लेकिन ग्राम पंचायत इसके लिए पैरवी नहीं कर रही है।
केस-1 सूदाबेरी गांव की धापूदेवी कैंसर से पीडि़त है। इस महिला के सास-ससुर दोनों ही 85 और 90 की उम्र है जो दिव्यांग है। दो मासूम बच्चे है। धापू के कैंसर के चलते पति नगजीराम दो साल से मजदूरी पर नहीं जा पा रहा है। जो कुछ जमा पूंजी थी वो बीमारी में खर्च हो गई। खेत बिके और कर्ज चढ़ गया। अब गुजारा भी इनके लिए मुश्किल है। इस परिवार को बीपीएल में जोडऩे के लिए कई बार आग्रह किया लेकिन ग्राम पंचायत इसके लिए पैरवी नहीं कर रही है।
केस-2
सूदाबेरी गांव गांव का बांकाराम प्रजापत। 2008 में पानी की ङ्क्षसचाई करते समय कुएं में गिर गया। रीढ़ की हड्डी टूट गई। उपचार के दौरान दोनों पैर काटने पड़े। ग्यारह साल से खाट पर है। 2011 में गरीबी,लाचार और हालात बताने के लिए यह गरीब कलक्टर के पास पहुंच गया। यह बात पटवारी को खटक गई और यह कहकर रोक दिया कि अब वहीं से करवा लेना।
सूदाबेरी गांव गांव का बांकाराम प्रजापत। 2008 में पानी की ङ्क्षसचाई करते समय कुएं में गिर गया। रीढ़ की हड्डी टूट गई। उपचार के दौरान दोनों पैर काटने पड़े। ग्यारह साल से खाट पर है। 2011 में गरीबी,लाचार और हालात बताने के लिए यह गरीब कलक्टर के पास पहुंच गया। यह बात पटवारी को खटक गई और यह कहकर रोक दिया कि अब वहीं से करवा लेना।
केस-3
बालोतरा के संजय कुमार। दोनों बच्चे दिव्यांग। परिवार को आस्था कार्ड मिला हुआ है। संजय की दोनों किडनियां खराब हुइ तो वे एसडीएम ऑफिस पहुंंचे और बताया कि उनकी किडनी खराब है और दो बच्चे है, अब उनको बीपीएल कार्ड जारी कर दिया जाए। इस पर एसडीएम ने कहा कि यहां जो भी आता है खुद को गरीब ही कहता है। टके सा जवाब मिलने के बाद संजय हताश हो गए। कुछ दिन बाद उनका निधन हो गया।
बालोतरा के संजय कुमार। दोनों बच्चे दिव्यांग। परिवार को आस्था कार्ड मिला हुआ है। संजय की दोनों किडनियां खराब हुइ तो वे एसडीएम ऑफिस पहुंंचे और बताया कि उनकी किडनी खराब है और दो बच्चे है, अब उनको बीपीएल कार्ड जारी कर दिया जाए। इस पर एसडीएम ने कहा कि यहां जो भी आता है खुद को गरीब ही कहता है। टके सा जवाब मिलने के बाद संजय हताश हो गए। कुछ दिन बाद उनका निधन हो गया।