scriptकांटों में फेंका था जिन बेटियों को, वो अब फूलों सी पल रही, सच में बेटियां अपनी तकदीर खुद लिखवाकर आती है… | Cradle House in Barmer | Patrika News

कांटों में फेंका था जिन बेटियों को, वो अब फूलों सी पल रही, सच में बेटियां अपनी तकदीर खुद लिखवाकर आती है…

locationबाड़मेरPublished: Jan 02, 2020 11:32:38 am

Submitted by:

dinesh

अब तक आपने पढ़ा और सुना कि अभी भी बेटियों को अनचाही मानकर कई परिवार रेल पटरियों, झाडिय़ों और ऐसे वीराने में ठिठुरती सर्दी और भरी गर्मी में छोडकऱ चले जाते हैं और फिर इन अनचाही बेटियों को पालने तक लाया जाता है लेकिन अब हमारी ये बेटियां नाजों से पल रही है…

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– रतन दवे

बाड़मेर। अब तक आपने पढ़ा और सुना कि अभी भी बेटियों को अनचाही मानकर कई परिवार रेल पटरियों, झाडिय़ों और ऐसे वीराने में ठिठुरती सर्दी और भरी गर्मी में छोडकऱ चले जाते हैं और फिर इन अनचाही बेटियों को पालने तक लाया जाता है लेकिन अब हमारी ये बेटियां नाजों से पल रही है। लाड इन पर न्यौछावर हो रहा है और बाड़मेर की ये बेटियां अपनी किस्मत इतनी बुरी नहीं लिखा कर लाई थी तभी कोई आर्मी परिवार, कोई नेवी परिवार तो कोई समृद्ध व्यापारियों के आंगन चहका रही है। कहते हैं बेटियां अपनी तकदीर खुद लिखवाकर आती है… सच में ऐसा ही है। बाड़मेर जिले की नए साल की पहली सुखद खबर थी कि 1000 बेटों पर अब हमारे जिले में 1000 बेटियां हो जाएंगी।
केस-1
दिसंबर की सर्दी में झाडिय़ों में बेटी को फेंक दिया। किस्मत रही कि उसकी चिल्लाने की आवाज सुनी और पालनागृह तक ले आए। यहां पर आने के बाद बेटी की सुरक्षा हुई और फिर उसकी स्वास्थ्य
जांच। बेटी की तकदीर देखिए वह गुडग़ाव में नेवी के एक मर्चेट के घर पर अब लाडो बनी हुई है। इस परिवार के एक बेटा था और चाहत बेटी की थी। अब वह नाजों से पल रही है।
केस-2
कोलकाता के एक व्यापारी के घर में समृद्धि पूरी लेकिन जिंदगी अधूरी,संतान बिना। इस परिवार ने तय किया कि अब बेटी गोद लेंगे। बाड़मेर में जिस बेटी को शहर में रेलवे पटरियों के पास छोड़ दिया गया था,वह बेटी अब इनके घर अब चहक रही है। प्यार इतना और दुलार इतना कि बिटिया की हंसी ठिठोली में यह आंगन अब मुस्कराने लगा है।
केस-3
गुजरात का एक परिवार। घर में एक बेटी। तय किया कि इसके साथ खेलने के लिए दूसरी बहन चाहिए। इन लोगों ने भी दूसरी बेटी गोद लेने का मानस बनाया। बाड़मेर की एक बेटी जिसको बालोतरा क्षेत्र में परिजन फेंककर गए थें, वह किस्मत से इनको मिल गई। बिटिया को न केवल लेने आए जब घर गए तो समारोहपूर्वक उसको अपनाया।

बाड़मेर में पालनागृह में आए नवजात
वर्ष—–लडक़ी—–लडक़ा—–कुल
2017—–03—–03—–06
2018—–02—–02—–04
2019—–06—–05—–11

कानूनी प्रक्रिया अनुसार शिशुगृह में आने वाले बच्चों को गोद दिया जा रहा है। सारे बच्चे अच्छे परिवारों में पहुंच रहे हैं।
– कमला चौधरी, कार्यकारी परिवीक्षा अधिकारी, शिशुगृह बाड़मेर
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