दिसंबर की सर्दी में झाडिय़ों में बेटी को फेंक दिया। किस्मत रही कि उसकी चिल्लाने की आवाज सुनी और पालनागृह तक ले आए। यहां पर आने के बाद बेटी की सुरक्षा हुई और फिर उसकी स्वास्थ्य
कोलकाता के एक व्यापारी के घर में समृद्धि पूरी लेकिन जिंदगी अधूरी,संतान बिना। इस परिवार ने तय किया कि अब बेटी गोद लेंगे। बाड़मेर में जिस बेटी को शहर में रेलवे पटरियों के पास छोड़ दिया गया था,वह बेटी अब इनके घर अब चहक रही है। प्यार इतना और दुलार इतना कि बिटिया की हंसी ठिठोली में यह आंगन अब मुस्कराने लगा है।
गुजरात का एक परिवार। घर में एक बेटी। तय किया कि इसके साथ खेलने के लिए दूसरी बहन चाहिए। इन लोगों ने भी दूसरी बेटी गोद लेने का मानस बनाया। बाड़मेर की एक बेटी जिसको बालोतरा क्षेत्र में परिजन फेंककर गए थें, वह किस्मत से इनको मिल गई। बिटिया को न केवल लेने आए जब घर गए तो समारोहपूर्वक उसको अपनाया।
बाड़मेर में पालनागृह में आए नवजात
वर्ष—–लडक़ी—–लडक़ा—–कुल
2017—–03—–03—–06
2018—–02—–02—–04
2019—–06—–05—–11 कानूनी प्रक्रिया अनुसार शिशुगृह में आने वाले बच्चों को गोद दिया जा रहा है। सारे बच्चे अच्छे परिवारों में पहुंच रहे हैं।
– कमला चौधरी, कार्यकारी परिवीक्षा अधिकारी, शिशुगृह बाड़मेर