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जन्मभूमि की सेवा से ही ऋण से हो सकते उऋण

- कलश यात्रा में उमड़े श्रद्धालु

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जन्मभूमि की सेवा से ही ऋण से हो सकते उऋण

जन्मभूमि की सेवा से ही ऋण से हो सकते उऋण


बालोतरा.

खरंटिया में श्रीमाली ब्राह्मण समाज के श्रीमहालक्ष्मी मंदिर जीर्णोद्वार प्रतिष्ठा को लेकर कलश यात्रा व यज्ञ का आयोजन हुआ। इसमें खरंटिया मूल के श्रीमाली समाज के परिवार व आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में समाज के लोगों ने भाग लिया।
आयोजन को लेकर लक्ष्मी मंदिर से गाजे बाजे से पंचवटी आश्रम समदड़ी के संत कृष्णानंद व पातों का बाड़ा मढ़ी के लंूबगिरी के सान्निध्य में कलश यात्रा रवाना हुई। इसमें सबसे आगे सिर पर कलश लिए बालिकाएं, युवतियां व सजी धजी महिलाएं भजन गाते हुए चल रही थीं। इनके पीछे मां लक्ष्मी, दुर्गा, सरस्वती की सजी-धजी झांकियां व बड़ी संख्या में समाज के लोग चल रहे थे। गांव के मुख्य मार्गों से शोभायात्रा के गुजरने पर इसे निहारने के लिए ग्रामीण उमड़े। उन्होंने झांकियों के दर्शन-पूजन कर व पुष्प वर्षा से स्वागत किया। गांव के मार्गों से गुजरती हुई कलश यात्रा पुन: मंदिर पहुंच विसर्जित हुई। यहां पर आनंदीलाल दवे, कांतिलाल दवे, प्रेमप्रकाश दवे, वीरेन्द्र कुमार दवे आदि ने संतों का स्वागत किया। इस अवसर पर लेखराज श्रीमाली अजीत, चिंरजीलाल दवे, पं. रमेश दवे, नटवरलाल दवे समदड़ी, सुरेश दवे मौजूद थे। आयोजित यज्ञ में आचार्य सुरेन्द्र दवे भाऊ व ब्राह्मणों के मंत्रोच्चार पर विजयकुमार दवे, पूर्णप्रकाश दवे, जुगलकिशोर दवे, प्रवीण कुमार दवे ने सपत्नीक यज्ञ में आहुतितयां दी। रात्रि में फागोत्सव कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें चंपालाल दवे, कर्नल सुरेश दवे, गौरव, प्रदीप समदड़ी, संदीप श्रीमाली, टीकम दवे आदि ने भजनों की प्रस्तुतियां दी। श्रद्धालुओं ने झूमते हुए नृत्य किया। रातीजोगा में सरला, कलावंती, तुलसीदेवी, गायत्री, विमला, सुशीला, सरस्वती देवी आदि ने देव गीत गाए। आरती उतार कर महालक्ष्मी को प्रसाद चढ़ाया।

आशीर्वचन- पंचवटी आश्रम के संत कृष्णानंद ने कहा कि भगवान श्रीराम ने स्वयं कहा है कि जन्म भूमि स्वर्ग से भी अच्छी होती है। इस पर जन्म भूमि से लगाव होना अच्छी बात है। जन्म भूमि की सेवा करके ही इसका कर्ज उतारा जा सकता है। मंदिर निर्माण से आने वाले पीढिय़ों को गांव के इतिहास की जानकारी मिलेगी। यह सराहनीय कार्य है। हर वर्ष में आयोजित होने वाले कार्यक्रर्मों में अधिकाधिक भाग लें। इससे आपसी प्रेम मजबूत होने के साथ एकजुटता बनेगी।