
प्रदेश के जिलों को लेकर शिक्षा विभाग में अजीब िस्थति नजर आती है। ऑफ लाइन हो रहे सभी कार्य पचास जिलों के हिसाब से हो रहे हैं लेकिन ऑनलाइन शाला दर्पण पोर्टल पर पुराने 33 जिलों का अपडेशन ही हैं। ऐसे में स्कूल व शिक्षकों की िस्थति, पोषाहार, बच्चों की तादाद जैसी सूचनाओं को लेकर नए जिले के लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। खास बात यह है कि जिला शिक्षा अधिकारी तो मिल गए लेकिन आदेश अभी भी पुराने जिले के अधिकारी कर रहे हैं।
नए जिलों की घोषणा
तत्कालीन राज्य सरकार ने अपने अंतिम बजट के दौरान पूरक मांगों में नए जिलों की घोषणा की थी। इसके बाद प्रदेश में 50 जिले हो गए जबकि पूर्व में 33 जिले थे। इसके बाद चंद माह में सरकार ने प्रशासनिक अमला लगाया तो शिक्षा विभाग में भी जिला स्तरीय अधिकारियों को नियुक्ति कर दी। इसके बाद ऑफलाइन होने वाले कार्य जैसे खेलकूद प्रतियोगिताएं, शिक्षकों के प्रशिक्षण, शिक्षकों को अवकाश, बोर्ड परीक्षा आयोजन आदि कार्य नए जिले के अनुसार हो रहे हैं तो दूसरी ओर ऑनलाइन शाला दर्पण पोर्टल में अभी 33 जिलों का ही अपडेशन हैं। ऐसे में नए जिले को लेकर पुख्ता जानकारी शिक्षा विभागीय पोर्टल पर उपलब्ध नहीं हो रही है।
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हो रहा है नुकसान- नए जिलों के हिसाब से अपडेशन नहीं होने पर कई बातों का नुकसान हो सकता है। जिले अनुसार विभिन्न योजनाओं के तहत मिलने वाला बजट पुराने जिले के अनुसार मिलने से विकास कार्य पर प्रभाव पड़ रहा है। स्कूलों में पदों की तादाद, विभिन्न योजनाओं के तहत मिलने वाली छात्रवृत्ति व अन्य योजनाओं का लाभ दोनों जिलों में बंट रहा है।
Published on:
07 Mar 2024 12:02 am
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