
बजरी को लेकर सरकार का ढुलमुल रवैया आमजन के लिए आफत बन रहा है। करीब एक साल से वैध बजरी की राजस्थान के बाड़मेर में कोई लीज नहीं है। सरकार ने 6 माह पहले 100 हैक्टेयर में लीज देने की प्रक्रिया शुरू की, दो माह पूर्व 11 लीज के अंतिम मंशा पत्र भी जारी कर दिए, लेकिन उन्हें पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिल पाई है।
खनिज विभाग ने बाड़मेर व बालोतरा जिले में बजरी खनन के लिए 12 भूखंड ऑनलाइन प्रक्रिया से नीलाम किए। इसमें पचपदरा क्षेत्र के 8 भूखंड हैं, जो सितंबर 2024 में नीलाम हुए हैं। अधिकतम नीलामी दर की 40 फीसदी राशि जमा होने के बाद लीज धारक को विभाग ने अंतिम मंशा पत्र जारी कर दिए।
इसी तरह सिणधरी क्षेत्र में 4 भूखंडों की नीलामी हुई है, जिसमें तीन की स्वीकृति जारी हुई है। जबकि एक भूखंड का मामला न्यायालय में विचाराधीन होने पर प्रक्रियाधीन है। सरकार का सख्त नियम है कि पट्टा धारक बजरी रॉयल्टी से चार गुणा ही राशि वसूल कर सकेगा। सरकार की 51.30 रुपए प्रति टन रॉयल्टी है। ऐसे में पट्टा धारक खनन, परिवहन व भराई समेत 200 रुपए प्रति टन वसूल करेगा।
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वैध बजरी नहीं मिलने पर आम आदमी को अभी अवैध बजरी महंगे दामों पर खरीदनी पड़ रही है। अवैध बजरी बेचने वाले लीज नहीं होने पर चांदी कूट रहे हैं।
अवैध बजरी के दाम ऊंचे होने पर सरकारी कार्यों में ठेकेदार आनाकानी कर रहे हैं। कई काम अटका दिए गए हैं। महंगे मोल पर बजरी खरीदना इनको गवारा नहीं है।
बाड़मेर व बालोतरा में बजरी के लिए 100-100 हेक्टेयर के 12 भूखंडों की नीलामी हुई है। इससे विभाग को करीब 100 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है। जबकि बजरी खनन शुरू होते ही अतिरिक्त राजस्व भी मिलना शुरू होगा। लेकिन सरकार स्तर पर पर्यावरण स्वीकृति को लेकर लंबा इंतजार आमजन को सस्ती बजरी व सरकार के राजस्व को भी नुकसान पहुंचा रहा है।
बजरी खनन के लिए लीज की नीलामी होने के बाद सिया कमेटी से पर्यावरण स्वीकृति लेनी होती है। यहां राज्य स्तरीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (सिया) भंग हो चुकी थी। लेकिन सरकार ने एक माह पहले कमेटी का गठन कर दिया है। इसके बावजूद भी लीज धारकों को ईसी जारी नहीं हुई है।
बजरी के 12 भूखंड नीलाम किए गए है। इसमें 11 मंशा पत्र जारी कर दिए गए है। पर्यावरण स्वीकृति के लिए आवेदन हो गए है। स्वीकृति मिलने के बाद ही आगे की प्रक्रिया होगी।
Published on:
24 Jan 2025 10:11 am
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