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बाड़मेर.
खेतों में भरे पड़े जिप्सम के खजाने को लेकर खनिज विभाग का राजस्व महज एक साल में दुगुना हो गया है। दरअसल, सरकार ने गत साल पर्यावरण संबंधी स्वीकृति पर राहत देने का आदेश जारी किया था। जिसमें परमिट लेने के दौरान आवेदक को पर्यावरण क्लीयरेंस लेने की जरुरत नहीं थी।
जिले में कृषक खेत में खनिज का खनन कर भूमि सुधार करने के साथ-साथ जिप्सम बेच रहे है। जिसमें वर्तमान में एक सरकारी जिप्सम की खदान है। केन्द्र सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने गैर खनन गतिविधियों के लिए गत साल पर्यावरण क्लीयरेंस की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था। उस वक्त बाड़मेर जिले के उत्तरलाई, कवास, छीतर का पार, भीमरलाई, जाखरड़ा व थोब में जिपसम का बड़ा कारोबार है। उस दौरान बाड़मेर में 26 परमिट का संचालन हो रहा था। उसके बाद जब पयार्वरण क्लीयरेंस की बाध्यता हटाई तो परमिट दुगुने हो गए है।
हर साल मिलने लगा 10 करोड़ का राजस्व
जिले में पर्यावरण संबंधित स्वीकृति लेने के दौरान 26 परमिट संचालित हो रहे थे। गत साल पर्यावरण क्लीयरेंस समाप्त होने पर परमिट दुगुने हो गए है। अब जिले में 52 परमिट हो गए है। ऐसे में विभाग को अब करीब 10 करोड़ रुपए का हर साल राजस्व मिलना शुरू हो गया है। पूर्व में सवा पांच करोड़ रुपए मिल रहे थे।
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यों मिल रहा फायदा
- 2 मीटर तक खेत में खुदाई कर निकाल रहे जिप्सम
- निकाली गई जिप्सम बेच रहे किसान
- किसानों की जमीन होगी जिप्सम मुक्त फिर कर सकेंगे फसल बुवाई
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सरकार ने पर्यावरण क्लीयरेंस की जरुरत को गत साल खत्म कर दिया था। उसके बाद बाड़मेर जिले में परमिट दुगुने हो गए है। पर्यावरण क्लीयरेंस की अनिवार्यता के चलते आवेदकों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा था। - भगवानसिंह, खनि अभियंता, खनिज विभाग, बाड़मेर
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Published on:
08 Aug 2021 07:35 pm
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