बिजली जाते ही पंखे व कूलर बन्द- कस्बे के राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में बिजली जाते ही वार्डों में पंखे व कूलर चलना बन्द हो जाते हैं। बिजली जाने के बाद पंखें ,कूलर चलाने की कोई व्यवस्था अस्पताल प्रशासन के पास नहीं है । गर्मी में बार-बार बिजली का जाना आम बात है। अस्पताल के वार्ड में रोजाना 40 से 50 मर्जी भर्ती होते हैं। बिजली कटौती पर परिजन कागज के गत्ते , कपड़े से मरीजों को हवा डालते हैं। कहने को तो वार्डों में इनवेटर लगे हैं लेकिन उनसे सिर्फ रोशनी की व्यवस्था ही होती है।
जनरेटर की व्यवस्था नहीं- क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल होने के बावजूद यहां पर जनरेटर की व्यवस्था नहीं है। जबकि जिले के ऐसे ही दूसरे अन्य अस्पतालों में जनरेटर की व्यवस्था है। करीब चार साल पूर्व इस अस्पताल में ब्लड बैंक के लिए जनरेटर आया था। अस्पताल प्रशासन ने इसके लिए एक कमरा भी तैयार किया था। ब्लड बैंक की स्थापना का कार्य खटाई में पड़ गया। ब्लड बैंक के लिए आए जनरेटर की क्षमता कम होने से वह वार्डो में बिजली का लोड नहीं ले पाता है। इससे वह भी अनुपयोगी साबित हो गया। निसं.
जनरेटर की व्यवस्था नहीं- क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल होने के बावजूद यहां पर जनरेटर की व्यवस्था नहीं है। जबकि जिले के ऐसे ही दूसरे अन्य अस्पतालों में जनरेटर की व्यवस्था है। करीब चार साल पूर्व इस अस्पताल में ब्लड बैंक के लिए जनरेटर आया था। अस्पताल प्रशासन ने इसके लिए एक कमरा भी तैयार किया था। ब्लड बैंक की स्थापना का कार्य खटाई में पड़ गया। ब्लड बैंक के लिए आए जनरेटर की क्षमता कम होने से वह वार्डो में बिजली का लोड नहीं ले पाता है। इससे वह भी अनुपयोगी साबित हो गया। निसं.
बिजली कटौती के दौरान होती परेशानी – वार्डों में इनवेटर है। इससे सिर्फ रोशनी होती है। बिजली कटौती पर मरीजों को परेशानी होती है। बड़े जनरेटर के लिए हमने विभाग से मांग कर रखी है। ब्लड बैंक के लिए आए जनरेटर की क्षमता कम होने से वह भी अनुपयोगी साबित हो रहा है।- डॉ. शिवमंगल नॉगल, चिकित्सा प्रभारी समदड़ी