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कैलाश कंवर बनी मिसाल एक बेटी पर नसबंदी

-धीरा गांव की निवासी

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Kailash Kanwar became an example

Kailash Kanwar became an example

मोकलसर. बेटियों को जन्म देते ही मारने और जन्म के बाद सहता रहा बाड़मेर जिला अब नई सोच के साथ बेटे-बेटी में भेदभाव को मिटा रहा है। जिले के धीरा गांव की एक महिला ने गुरुवार को एक बेटी पर ही नसबंदी करवा नया उदाहरण दिया है।

मोकलसर प्राथमिक चिकित्सालय में गुरुवार को नसबंदी शिविर में पहुंची धीरा गांव की कैलाश कंवर पत्नी देवीसिंह के ढाई साल पहले एक बेटी हुई और गुरुवार को नसबंदी करवाई।

देवीसिंह ने बताया कि उनकी पहली पत्नी ने एक बच्चे को जन्म दिया और जन्म देते ही देहावसान हो गया। इसके बाद उनकी दूसरी शादी कैलाशकंवर से हुई।

ढाई साल पहले बेटी खुशबू हुई तो दोनों ने निर्णय किया कि अब एक बेटी के बाद ही नसबंदी करवा लेंगे। कैलाश कंवर ने इस निर्णय को स्वीकार करते हुए बेटे की चाहत को तरजीह नहीं दी।

एेसे उदाहरण बहुत कम

एक संतान पर नसबंदी करवाने वालों की संख्या गिनीचुनी है और इसमें भी एक बेटी पर नसबंदी करवाने के उदाहरण नहीं हैं।

कैलाश कंवर का निर्णय वास्तव में अब तक का बड़ा उदाहरण माना जा रहा है।- डा. सत्ताराम भाखर, चिकित्साधिकारी

22 नसबंदी की गई

मोकलसर चिकित्सालय प्रभारी डॉ. ललित शेखावत ने बताया कि शिविर में सर्जन डॉ. अरविंद कुमार, मगराज जीनगर, अमृतदास की टीम ने 22 महिलाओं के ऑपरेशन कर नसबंदी की। इस मौके पर कानसिंह सिसोदिया, मोहनलाल बारड, भोमाराम, युगलकिशोर वैष्णव, केशरीमल, गणपत लाल ने सेवांए दी।


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