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जानिए, क्या हो रहा है बाड़मेर की राजनीति में?

भाजपा कांगे्रस दोनों में चल रही चुनावी यात्राएं और सरगर्मियां राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं की हथाई शुरू कर चुकी है। अभी बाड़मेर की पॉलिटिक्स राजधानी तक चर्चा में चलने लगा है।

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जानिए, क्या हो रहा है बाड़मेर की राजनीति में?

जानिए, क्या हो रहा है बाड़मेर की राजनीति में?


पत्रिका पॉलिटिकल डायरी
बाड़मेर जिला- रतन दवे
भाजपा कांगे्रस दोनों में चल रही चुनावी यात्राएं और सरगर्मियां राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं की हथाई शुरू कर चुकी है। अभी बाड़मेर की पॉलिटिक्स राजधानी तक चर्चा में चलने लगा है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में तीन विधायक पैदल चल रहे है। तीनों कांग्रेस से है, लेकिन तीनों की उथल-पुथल अलग है। मदन प्रजापत को बालोतरा जिले की मांग को राहुल तक पहुंचाना है। नंगे पांव चल रहे प्रजापत राहुल तक तो बात कह गए लेकिन उनकी उम्मीद बार-बार मुख्यमंत्री से है। गुड़ामालानी के विधायक एवं मंत्री हेमाराम चौधरी भी राहुल गांधी के साथ है। पायलट खेमे के वरिष्ठ हेमाराम की उपस्थिति पालयट को बड़ा संबल दिए है। इधर, पंजाब कांग्रेस प्रभारी व बायतु विधायक हरीश चौधरी पहले से टीम राहुल में रहे है। बीते दिनों ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विरोध में आ गए थे। अब हरीश यहां किस खेमे में माने जाए, यह अलग विषय बना हुआ है। बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन की चर्चा इस यात्रा में नहीं है, लेकिन चर्चा में वे भी है। शिव के विधायक अमीनखां ने अपने इलाके में एक नई चर्चा छेड़ दी है,उन्होंने बीते दिनों अपने घर एक बैठक बुलाकर इसमें अपने बेटे को अगले चुनावों में प्रत्याशी बनाने की नब्ज टटोली है, यहां दीगर रहे कांगे्रस के जिलाध्यक्ष फतेहखां भी शिव से ही किस्मत आजमाने के लिए जिलाध्यक्ष का पद छोड़कर मैदान में उतरने के मूड में है। वैसे, हादी परिवार के लिए भी अब केवल शिव की ही सीट है, लेकिन उनके लिए चौहटन के परिसीमन बाद स्थितियां पक्ष में नहीं रही। इधर, राहुल की यात्रा में कदम मिलाते नजर आए मानवेन्द्रसिंह पिछली बार विधानसभा का चुनाव झालरापाटन से लड़े थे और सांसद का बाड़मेर से, अब विधानसभा में उनका क्या गणित रहेगा? यह प्रश्न बना हुआ है। इधर, भाजपा में भी जिलाध्यक्ष आदूराम मेघवाल चौहटन से चुनाव लडऩे के इतने मूड में है कि डेढ़साल से पार्टी को कह रहे है अध्यक्ष से मुक्त करो। भाजपा के लिए मुश्किल यह है कि नया अध्यक्ष किसको बनाए? जिसका नाम ले वो चुनाव लडऩे को तैयार हो रहा है। भाजपा इस उधेड़बुन में अभी फैसला नहीं ले पा रही है। भाजपा भी इन चुनावों में अब बाड़मेर विधानसभा को लेकर फिक्र में है। तीन बार की मात के बाद जिताऊ की तलाश अभी किसी टारगेट पर नहीं पहुंच पाई है। शिव में तो एक लंबी फेहरिस्त है। जिलाध्यक्ष चौहटन पर नजर लगाए है तो एससी-एसटी आरक्षित सीट पर तमाम भाजपा से जुड़े नेताओं की आंख है। पचपदरा में बुजुर्ग हो चुके अमराराम चौधरी की जगह कौन? यह सवाल बड़ा सालने लगा है। सांसद कैलाश चौधरी को भाजपा विधानसभा में आजमाती है तो कहां से? पचपदरा या बाड़मेर? सवालों की यही उथल-पुथल भाजपा में भी कम नहीं है। खैर, चुनावों से पहले सारे समीकरण बनते-बिगड़ते नजर आते है लेकिन चुनावी हथाई...यह चाव का विषय है, चाव से पढ़ते रहिए....।


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