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मूृंग-मोठ छोडि़ए अब तो बाजरा भी हाथ लगे तो नसीब

- साढ़े लाख हैक्टेयर में होती बुवाई, इस बार करीब पांच लाख हैक्टेयर में हुई - 40 प्रतिशत ही पैदावार होने का अनुमान है - मूंग-मोठ और अन्य फसलों को लेकर भी किसानों की उम्मीदें टूटी - बारिश अब होने लगी पर बुवाई का समय निकल गया

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मूृंग-मोठ छोडि़ए अब तो बाजरा भी हाथ लगे तो नसीब

मूृंग-मोठ छोडि़ए अब तो बाजरा भी हाथ लगे तो नसीब

दिलीप दवे

बाड़मेर. मूंग-मोठ की बात क्या की जाए थार की धरा में इस बार बाजरा भी हाथ लगे तो किसानों को नसीब ही माना जाएगा। लम्बे समय तक बारिश का इंतजार खरीफ की फसल बुवाई के लिए महंगा पड़ा और पर्याप्त बुवाई नहीें हुई। इस बार सबसे ज्यादा मार बाजरा पर पड़ी जो लक्ष्य से कहीं दूर भटक गया। साढ़े आठ लाख के मुकाबले पांच लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई। इसमें से अभी भी पर्याप्त बारिश नहीं होने से उत्पादन बमुश्किल चालीस फीसदी ही हो पाएगा।

बाड़मेर जिले में करीब साढ़े चौदह लाख हैक्टेयर में खरीफ की बुवाई होती है, जिसमें से आठ लाख चालीस हजार हैक्टेयर में बाजरा ही होता है। स्थिति यह है कि थार का शायद ही ऐसा कोई खेत हो जहां बाजरा न बोया जाता है। किसान पूरे साल जून-जुलाई का इंतजार करते है, जिससे कि वे बाजरा बुवाई कर सके, लेकिन इस बार उनको मायूसी हाथ लगी है।

क्योंकि जून-जुलाई जिले में बारिश के इंतजार में ही बीत गया। कुछ गांवों में ही बारिश हुई, शेष जगह इंतजार रहा। इसके चलते तय लक्ष्य के मुकाबले मात्र पांच लाख हैक्टेयर में ही बाजरा बोया हुआ है। देसी बाजरा की मांग ज्यादा- जिले में अधिकांश किसान देसी बाजरा ही बोते हैं। ये बीज सालों से उनके घरों में सहेजा हुआ रहता है जो बुवाई में काम आता है।

देसी बाजरा यहां के लोगों की पहली पसंद भी है, इसलिए इसकी बेहद मांग रहती है। इस बार देसी बाजरा की बुवाई कम हो पाई है।

अब तो सिर्फ चारा- अगस्त में अब बारिश का दौर चल रहा है, लेकिन इसमें बाजरा की उपज नहीं हो पाएगी। हालांकि बाजरा बुवाई करने पर पशुधन के लिए चारा के रूप में जरूर काम आएगा।

अभी ग्वार के लिए उपयुक्त- कृषि विशेषज्ञ के अनुसार अभी बारिश ग्वार की फसल के लिए उपयुक्त है। जहां अब तक बारिश नहीं हु्रई है वहां किसान ग्वार की बुवाई करेंगे। ग्वार में मात्र दो-तीन बारिश पर बढिया फसल हो जाती है। कम बुवाई हुई है- इस बार बाजरा की कम बुवाई हुई है। क्योंकि पहले बारिश नहीं हुई थी। अब बारिश हो रही है, लेकिन बाजरे के लिए उपयुक्त समय नहीं है।- जब्बरसिंह, किसान तिलवाड़ा

बारिश का रहा इंतजार- बारिश का इस बार इंतजार रहा। बॉर्डर के गांवों में तो बारिश अभी हुई है। ऐसे में बाजरा कम ही बोया हुआ है।- खुदाबक्स खलीफा, खलीफा की बावड़ी

लक्ष्य से कम बुवाई- बाजरा का लक्ष्य जिले में आठ लाख चालीस हजार हैक्टेयर में है, जिसके मुकाबले अब तक करीब पांच लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई है। बुवाई लक्ष्य के मुकाबले काफी कम है। - डॉ. प्रदीप पगारिया, कृषि वैज्ञानिक केवीके गुड़ामालानी

फैक्ट फाइल

फसल लक्ष्य बुवाई

बाजरा 840000 594000

मोठ 210000 115000

मूंग 60000 48000

कुल 1457000 821900


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