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कंटिली झांडि़यां ,नमक के टीले और पत्थरीली पगडंडी पर चल कर भी पहुंचने मोदी को सुनने, जानिए पूरा समाचार

-प्रधानमंत्री ने रिफाइनरी कार्य शुभारंभ किया

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बालोतरा.पचपदरा में रिफाइनरी कार्यशुभारंभ समारोह स्थल पर पांडाल खचाखच भर जाने से रेत के टीले पर बैठे लोग।

बालोतरा.पचपदरा में रिफाइनरी कार्यशुभारंभ समारोह स्थल पर पांडाल खचाखच भर जाने से रेत के टीले पर बैठे लोग।

बालोतरा.
पचपदरा रिफाइनरी शुभारंभ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर जनमानस में उत्साह तो इसकी स्थापना को लेकर विश्वास दिखाई दिया। सूर्योदय के साथ समारोह स्थल पर लोगों के पहुंचने का शुरू हुआ सिलसिला दोपहर तक जारी रहा। समारोह में आने-जाने तो बैठने को लेकर परेशानियों के बावजूद लोग परेशान दिखाई नहीं दिए।

मंगलवार को पचपदरा रिफाइनरी शुभारंभ के प्रस्तावित कार्यक्रम को लेकर, दिन निकलने के साथ ही समीपवर्ती गांवों से लोग पहुंचने शुरू हुए। बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों पर सुबह साढ़े नौ बजे यहां रौनक नजर आने लगी। आधे घंटे में आगे के भाग की कुर्सियां भर गई। वहीं, डोम में प्रवेश द्वारों पर कतारें लगने लगी। इसके बाद कतारें लंबी होती रही। दोपहर बारह बजे डोम खचाखच भर गए। सुरक्षाकर्मियों के प्रवेश नहीं देने पर डोम के बाहर मेला सी भीड़ लग गई।
विकास की उम्मीद से नजर आया उत्साह - मुख्य समारोह से पार्किंग की दूरी एक से सवा किलोमीटर थी। मुख्य मार्गों से पार्किंग तक आने का मार्ग था, लेकिन इसके बाद समारोह में जाने को लेकर नहीं था। मार्ग में जगह जगह नमक की खानें व कंटिली झाडिय़ां होने पर पग डण्डियों से होकर आयोजन स्थल तक पहुंचने व लौटने में लोगों को अधिक परेशानी उठानी पड़ी। देरी से पहुंचने पर डोम में जगह नहीं मिलने पर लोगों को इसके बाहर खड़े रहना पड़ा। इस पर इन्हें अधिक परेशानी उठानी पड़ी। इसके बावजूद लोग मोदी के भाषण सुन उत्साहित दिखाई दिए। मोदी के भाषण सुनने के लिए लोग खानों के टीलों पर बैठे। बड़ी तनम्यता से भाषण सुना। इसके बाद घरों को लौटे।

जनता की जुबानी-

लंबी दूरी चलकर सुबह यहां पहुंची। कई परेशानियां उठानी पड़ी, लेकिन मोदी के भाषण को सुनकर थकान खत्म हो गई। वे आम से आम व्यक्ति के दर्द को समझते हैं। वे गरीबों के कल्याण की बात करते है। - झूमी देची, सेवाड़ी पिपला

मोदी को सुनने यहां आया था, लेकिन पहुंचने से पूर्व ही पाण्डाल भर गया। बाहर खड़े रहकर भाषण सुना। इससे परेशानी हुई। प्रधानमंत्री को नहीं देख पाने पर दु:ख है, लेकिन गरीब, किसान की सोच रखने पर खुश हूं। - नेवाराम बागोड़ा
प्रधानमंत्री को देखने व सुनने यहां पहुंची थी। दूर पार्किंग व सही रास्ता नहीं होने पर बड़ी परेशानी हुई। प्रधानमंत्री को देख व सुन सारी परेशानी खत्म हो गई। - यशोदा देवी, सुमेरपुर

प्रधानमंत्री के भाषण सुनने के लिए ही में यहां आया था। मार्ग सही नहीं होने पर परेशानी उठानी पड़ी। अन्य व्यवस्थाएं बहुत ही अच्छी थी। भाषण सुनने पर सारी थकान पलभर में ही मिट गई। - रूपाराम पटेल, झंवर
प्रधानमंत्री का भाषण बहुत ही अच्छा था। वे महिलाओं, युवाओं के लिए अच्छी सोच रखते हैं। उनसे प्रेरित हूं। इसलिए परेशानी होने के बावजूद इतनी दूर यहां आई हूं। - गुलाबी कुमावत, बेड़ा