कर्नल सोनाराम चौैधरी का टिकट भाजपा ने काटकर कैलाश चौधरी को दिया। कर्नल ने इसको लेकर अपने आवास पर बैठक बुलाकर खुला कहा था कि भाजपा ने उन्हें दूध में से मक्खी की तरह निकालकर फेंक दिया। वे तीन बार सांसद रहे थे और उनके पास जीत का गणित था इसलिए भाजपा ने उनको जसवंतसिंह के खिलाफ उतारा था। जसवंतसिंह को हराने का करिश्मा उन्होंने ही किया था। विधानसभा चुनावों में हार का कारण भाजपा के ही लोग रहे। जिन्होंने भीतरघात किया।
कर्नल प्रचार-प्रसार में नहीं कर्नल लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के प्रचार-प्रसार में नहीं आए। केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा में भी नहीं आए है। इस बीच प्रदेशाध्यक्ष सहित कई नेताओं ने उनसे संपर्क भी किया है।
कर्नल के कांग्रेस में जाने के चर्चे कर्नल की कांग्रेस में वापसी की चर्चाएं गर्म है। कर्नल के नजदीकी लोगों का भी कहना है कि वे कभी भी कांग्रेस ज्वाइन कर सकते है। हालांकि कर्नल ने इसको स्पष्ट नहीं किया है। बीते दिनों से वे दिल्ली रहे है और वहां कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के प्रयास में रहे।
कांग्रेस से ही आए थे भाजपा में कर्नल सोनाराम चौधरी 1996, 1998 एवं 1999 में कांग्रेस से सांसद रहे हैं। 2004 के चुनावों में वे मानवेन्द्रङ्क्षसह के सामने चुनाव हारे थे। 2009 में उनको पार्टी ने टिकट नहीं दिया क्योंकि इससे पहले 2008 में वे बायतु से विधायक बन गए। 2014 के चुनावों में कर्नल सोनाराम कांग्रेस छोड़ भाजपा में आ गए। उन्होंने जसवंतसिंह के सामने चुनाव लड़ा और जीत गए। 2018 के चुनावों में कर्नल ने भाजपा से ही बाड़मेर से विधायक का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। इस शिकस्त के बाद उनका टिकट काट दिया गया।