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जीरे की सौंधी खुशबू ही नहीं पीले फूलों से भी महकेगी मरुधरा

- लक्ष्य के मुकाबले सरसों की बाड़मेर में ज्यादा बुवाई, जीरे पर पड़ेगा असर

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जीरे की सौंधी खुशबू ही नहीं पीले फूलों से भी महकेगी मरुधरा

जीरे की सौंधी खुशबू ही नहीं पीले फूलों से भी महकेगी मरुधरा

बाड़मेर. हर बार रबी की बुवाई में जीरे की सौंधी खुशबू से महकने वाले खेत इस बार सरसों/ रायड़े के पीले फूलों से सजे नजर आएंगे। बाड़मेर जिले के किसानों का ध्यान इस बार जीरे, इसबगोल से ज्यादा सरसों या रायड़े की बुवाई पर है।

यहीं कारण है कि लक्ष्य से चार गुना अधिक क्षेत्रफल में रायड़ा बोया जाने का अनुमान है, हालांकि जीरे की बुवाई अब शुरू होगी लेकिन कयास यह है कि इस बार जीरे व इसबगोल की बुवाई लक्ष्य के मुकाबले कम ही होगी। दिवाली की खुशियां मनाने के साथ ही थार के धरतीपुत्र अब रबी की बुवाई में जुट गए हैं। पिछले कुछ दिनों से बुवाई ने जोर पकड़ा है। करीब साढ़े तीन लाख हैक्टेयर में बुवाई का लक्ष्य है, जिसमें करीब दो लाख हैक्टेयर में जीरा और एक लाख में इसबगोल बोया जाता है। जबकि रायड़ा या सरसों की बुवाई करीब अ_ारह हजार हैक्टेयर में ही होती है लेकिन इस बार सरसों की बुवाई ने रिकॉर्ड तोड़ा है। अब तक २७९९० हैक्टेयर में सरसों की बुवाई हो चुकी है जो लक्ष्य से अधिक है। वहीं, जीरे की बुवाई दो लाख हैक्टेयर के मुकाबले १६ हजार व इसबगोल की बुवाई एक लाख के मुकाबले दो हजार हैक्टेयर में ही हुई है।

जीरे के घटे दाम तो रुचि कम- बाड़मेर के किसानों की रुचि इस बार जीरा बुवाई में कम होने के पीेछे दाम कम होना है। जानकारी के अनुसार वर्तमान में जीरा ११ हजार रुपए प्रति क्ंिवटल की दर से बिक रहा है जबकि पूर्व में पन्द्रह से बीस हजार रुपए तक बिकता था। वहीं, इसका उत्पादन प्रति हैक्टेयर पांच क्ंिवटल होता है तो सरसों प्रति हैक्टेयर बारह-तेरह क्ंिवटल हो जाती है। सरसों में फायदा ही फायदा- विशेषज्ञों के अनुसार किसानों को सरसों में फायदा ज्यादा नजर आ रहा है। सरकार ने समर्थन मूल्य ५०५० तय किया है जबकि मंडी में सात-साढ़े सात हजार रुपए प्रति क्ंिवटल मिल जाते हैं। वहीं प्रति हैक्टेयर बारह-तेरह क्ंिवटल उपज होने से जीरे से अधिक दाम मिलने की उम्मीद किसानों को है।

मौसम का भी असर- इस बार दिवाली के बाद भी गर्मी का असर दिन में ज्यादा नजर आ रहा है। दिन और रात के तापमान में ज्यादा अंतर होने पर किसानों को चिंता है कि जीरा बोया तो भी दिन में गर्मी के चलते यह अंकुरित कम होगा जिस पर वे सरसों की बुवाई पर ध्यान दे रहे हैं। अनुमान है कि इस बार सरसों की बुवाई करीब साठ-पैंसठ हजार हैक्टेयर में होगी जबकि जीरे की बुवाई घटकर डेढ़ लाख हैक्टेयर तक आ जाएगी।

सरसों के प्रति बढ़ा मोह- इस बार जिले के किसानों का सरसों के प्रति मोह बढ़ है। अब तक लक्ष्य से अधिक बुवाई हो चुकी है। ६०-६५ हजार हैक्टेयर में बुवाई होने की उम्मीद है। मौसम का असर तो बढ़ते दाम और उत्पादन जीरे के मुकाबले प्रति हैक्टेयर ज्यादा होने पर एेसा हो रहा है।- डॉ. प्रदीप पगारिया, कृषि वैज्ञानिक केवीके गुड़ामालानी

सरसों की बुवाई ज्यादा- पिछले सालों के मुकाबले इस बार सरसों की बुवाई ज्यादा हो रही है। बढ़ते दाम और प्रति हैक्टेयर अधिक उत्पादन के चलते एेसा हो रहा है। जीरे की बुवाई अब जोर पकड़ेगी लेकिन लक्ष्य से मुकाबले कम बुवाई की उम्मीद है।- पदमसिंह भाटी, कृषि अधिकारी, कृषि विभाग बाड़मेर


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