
Path buried in the sand, barely the floor
- सीसुब व सेना के जवान तथा ग्रामीणों के लिए हुई मुसीबत
गडरारोड . इन दिनों चल रही धूल भरी आंधी के चलते बॉर्डर क्षेत्र की सड़कों पर रेत के टीले जमा हो गए हैं। ऐसे में यहां से वाहन निकालने में चालकों का पसीना निकल जाता है। सबसे ज्यादा मुसीबत सीसुब व सेना के जवानों तथा सीमावर्ती गांवों में रहने वाले ग्रामीणों को होती है। उनके लिए अपने घर तक कोई वाहन ले जाना चुनौती बन जाता है।
सीमावर्ती गांव मुनाबाव से रोहिड़ी, पांचला, सुंदरा, म्याजलार जाने वाली सड़क जून के प्रारंभ में ही जाम हो गई है। यहां वाहन निकालने में चालकों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
यहां हर वर्ष होती है यही हालत
सीमावर्ती क्षेत्र के गांवों में प्रतिवर्ष आंधियों के दौरान सड़कें जाम हो जाती है। तेज हवा के चलते रेत उड़कर सड़कों पर जमा हो जाती है। वहीं कई बड़े-बड़े टीले भी अपनी जगह बदल देते हैं। ऐसे में यहां के कई रास्ते बाधित हो जाते हैं।
सबसे ज्यादा मुसीबत सीसुब व सेना के जवानों तथा सीमावर्ती गांवों में रहने वाले ग्रामीणों को होती है। उनके लिए अपने घर तक कोई वाहन ले जाना चुनौती बन जाता है।
सीमावर्ती गांव मुनाबाव से रोहिड़ी, पांचला, सुंदरा, म्याजलार जाने वाली सड़क जून के प्रारंभ में ही जाम हो गई है। यहां वाहन निकालने में चालकों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
रेत हटाने का काम धीमा
इन सड़कों से रेत हटाने का जिम्मा सीमा सड़क संगठन का है। ग्रेफ से मजदूरों की लगातार कटौती होने के कारण खुदाई मशीनों से काम लिया जाता है। लंबा क्षेत्र और एक मशीन के भरोसे कई जगह सड़क अवरोध ही रहती है, ऐसे में ग्रामीणों को मशक्कत करनी पड़ रही है। रोहिड़ी ग्रामीण भुट्टासिंह राजपूत का कहना है कि सड़कें जाम हो जाने से कई लोगों के लिए घर में राशन लाना भी मुश्किल हो जाता है।
Published on:
09 Jun 2018 10:35 am
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