
पशुशिविर संचालनकर्ता ग्राम पंचायतों को नहीं मिल रहा भुगतान
गलतफहमी में रोक दिया डेढ़ करोड़ का भुगतान?
- दो साल से ग्राम पंचायतें परेशान, प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान
- निरीक्षण के वक्त शिविर ही नहीं थे स्वीकृत, फिर कैसे हुआ गबन
- पुलिस जांच में भी उल्लेख, लेकिन आपदा-प्रबंधन विभाग ने दे दी सभी को सजा
पत्रिका इंडैप्थ स्टोरी
दिलीप दवे
बाड़मेर
जिला प्रशासन ने अकाल राहत के तहत दो साल से पशु शिविरों के लगभग डेढ़ करोड़ रुपए एफआईआर दर्ज होने के नाम पर रोक रखे हैं, वह मामला ही गलत-फहमी की वजह से दर्ज हुआ। जयपुर के जांच दल के निर्देश पर रामसर थाने में एफआईआर दर्ज हुई, लेकिन पुलिस ने एक माह में ही जांच के बाद फाइनल रिपोर्ट (एफआर) दी कि न तो कोई गबन हुआ और ना ही कोई घोटाला। यह मामला तो सिर्फ अदम वकु (गलत फहमी) का है।
वर्ष 2015 में अकाल राहत के तहत ग्राम पंचायतों के मार्फत लगभग हर ग्राम पंचायत में शिविर चले, जिनका भुगतान जिला प्रशासन की आपदा-प्रबंधन शाखा को करना था, लेकिन अभी तक पचास ग्राम पंचायतों के डेढ़ करोड़ रुपए अटके हुए हैं। पड़ताल में यह सामने आया कि प्रशासन रामसर थाने में जिस एफआईआर का हवाला देकर रुपए देने से आनाकानी कर रहा है, उस पर तो एफआर भी लग चुकी है।
टीम ने कहा घोटाला, जांच में शिविर ही नहीं स्वीकृत
दरअसल 5 जून 2015 को विशेष जांच दल आपदा प्रबंधन एवं सहायता विभाग जयपुर ने रामसर व गडरारोड के पशुशिविरों का निरीक्षण किया। दल ने बताया कि जांच के दौरान शिविरों में विभिन्न कमियां व अनियमितताएं पाई गई। एेसे में संस्था संचालक, ग्राम पंचायत सरपंच व ग्राम सेवक ने सरकारी राशि का गबन किया है। उनके निर्देश पर तत्कालीन तहसीलदार रामसर ने रामसर थाने में मामला दर्ज करवाया। जांच में यह सामने आया कि जिस दिन टीम ने जांच की, उस दिन तक शिविर संचालन की तय अवधि तीस दिन पूरी हो चुकी थी। इसके आगे जारी रखने के आदेश जिला प्रशासन ने जारी नहीं किए थे। एेसे में जब तय अवधि पूरी हो चुकी थी तो गबन व घोटाले का सवाल ही नहीं था। जांच दल ने शिविर समाप्ति के छह दिन बाद निरीक्षण किया। इस कारण किसी भी पशुशिविर पर सरकारी राशि का दुरुपयोग होना नहीं पाया गया। इस आधार पुलिस थाना रामसर ने 17 दिसम्बर 15 को एफआर दी थी।
प्रशासन नहीं सुन रहा गुहार- जिस मामले को लेकर पुलिस ने एफआर दे दी, उसी को लेकर सभी ग्राम पंचायतों का भुगतान प्रशासन ने अटका रखा है। बार-बार चक्कर काट रहे हैं, लेकिन जिला प्रशासन सुनवाई नहीं कर रहा। - इनायतखां, ठेकेदार
उच्च अधिकारियों के निर्देश का इंतजार- यह मामला मेरे वक्त का नहीं है। पड़ताल के बाद पता चलेगा कि भुगतान क्यों अटका हुआ है। उच्च अधिकारियों के निर्देशानुसार कार्रवाई
Published on:
16 Sept 2017 05:57 pm
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