
Barmer news
बाड़मेर. प्रदेश में इसी माह हुए तबादलों से जिले के सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों का अनुपात गड़बड़ा गया है। तबादलों के बाद करीब 2000 शिक्षक अपने घरों के बीस किलोमीटर के दायरे में स्थित विद्यालयों में आ गए है लेकिन सीमावर्ती क्षेत्र के 1200 स्कूल एकल शिक्षक के भरोसे ही हैं। कई शिक्षकों ने पांच-सात किमी दूरी कम करने के लिए सरकार तक सिफारिश पहुंचा इच्छित स्थान प्राप्त कर लिया लेकिनसीमावर्ती गांवों में शिक्षकों का इंतजार खत्म नहीं हुआ है।
जिले के शिव, चौहटन और रामसर क्षेत्र के 1200 प्राथमिक स्कूलों में एकल शिक्षक ही हैं। पंाच कक्षाओं के विद्यालय के इन शिक्षकों के छुट्टी या सरकारी कार्य से बाहर होने पर स्कूल के ताला लगाने की नौबत रहती है। इस समस्या को दस साल से सीमावर्ती क्षेत्र के लोग भुगत रहे हैं लेकिन हर बार टाल दिया जाता है कि तबादलों व नई भर्तियों में स्थिति सुधरेगी लेकिन यह सुधार नहीं हो रहा है।
शहर के शहर में
जिला मुख्यालय बाड़मेर और बालोतरा में हुए तबादलों में शहर में रहने वाले शिक्षकांे के तबादले गांव से शहर में किए गए हैं। शहर के ही शिक्षक पंद्रह से बीस सालों से शहर के स्कूलों में ही जमे हुए है। पूरी नौकरी एक ही स्कूल में पूरी करने की स्थितियां हैं।
गांवों में नहीं ठहराव
शिक्षकों का ठहराव गांवों में नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र में नियुक्त अधिकांश शिक्षक रोज आना-जाना कर रहे है। बाड़मेर व बालोतरा शहर ही नहीं जोधपुर से भी बड़ी संख्या में शिक्षक अप-डाउन कर रहे हैं जिनकी नियुक्ति जोधपुर के आस-पास के गांवों आराबा, कल्याणपुर, मण्डली, समदड़ी आदि में है।
काउंसलिंग कर भेजें सीमाक्षेत्र में- शिक्षकों के अभिशंसा की बजाय काउंसलिंग से तबादले हों। काउंसलिंग में दूरस्थ स्कूलों को पहले खोला जाए। वहां पद पूरे भरने के बाद शहर के निकट के स्कूलों में लगाया जाए। इससे असमानता खत्म हो सकती है।- महेन्द्रकुमार, सेवानिवृत्त ब्लाक शिक्षा अधिकारी
Published on:
19 Jun 2018 11:07 am
बड़ी खबरें
View Allबाड़मेर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
