29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Rajasthan Election 2023: रेगिस्तान में टिकट के संग बदलेगी राजनीति के ऊंट की करवट..

Rajasthan Election 2023: गुलाबी ठण्ड रेगिस्तान के धोरों में घुलने लगी है। आंधी, तूफान और पसीने के दिन मौसम में हवा होने लगी है तो सियासी हवाएं जोर पकडऩे लगी है।

3 min read
Google source verification
34.jpg

,,,,,,,,

रतन दवे
पत्रिका न्यूज नेटवर्क/बाड़मेर। Rajasthan Election 2023: गुलाबी ठण्ड रेगिस्तान के धोरों में घुलने लगी है। आंधी, तूफान और पसीने के दिन मौसम में हवा होने लगी है तो सियासी हवाएं जोर पकडऩे लगी है। चुनावी आंधी चलने लगी है। टिकट वितरण के साथ ही तूफानी दौरे शुरू होंगे और राजनेताओं के पसीने छूटने लगे हैैं। रेगिस्तान की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा इसका अंदाजा बस पार्टियों के प्रत्याशियों के चेहरे सामने आने का इंतजार कर रहा है। हर विधानसभा क्षेत्र का अपनी गणित इन दिनों चल रही है।

यह भी पढ़ें : ओसवाल सभा: 14 साल बाद मतदान, देर रात परिणाम में प्रकाश कोठारी बने अध्यक्ष

बाड़मेर: बाड़मेर में कांग्रेस लगातार तीन बार जीती है, इसलिए भाजपा यहां प्रत्याशी सोच-समझकर उतारने के लिए दिल्ली तक मंथन कर रही है। दो नामों चर्चा गर्म है, चौंका देने वाले अन्य नाम के भी अब चर्चे होने लगे हैैं।

शिव: यहां रिवाज एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा का है। कांग्रेस के मौजूदा विधायक को वहम था कि उम्र की वजह से उनको टिकट नहीं मिलेगी लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत ने जिताऊ को 90 की उम्र में भी लड़ाने का कहकर राहत दी। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष उनकी आंख की किरकिरी है। यहां टिकट की लड़ाई लड़ी जा रही है। भाजपा की फेहरिस्त यहां लम्बी है। सबकी पॉकेट में थोड़ा-थोड़ा जोर है, पूरी विधानसभा पर पकड़ वाला कद्दावर नेता तलाशा जा रहा है।

गुड़ामालानी: हर बार की तरह अजीब पशोपश में है। यहां कांग्रेस के प्रत्याशी तो हर बार एक ही है, लेकिन वे चुनाव आने से पहले कह जाते हैं कि वे नहीं लड़ेगे...,दूसरा चेहरा भी सामने नहीं लाया जाता। लिहाजा यहां वे ही लड़ेगे,ऐसा कार्यकर्ता मानता है। दो अन्य नाम पैनल में जरूर है पर भारी एक ही है। भाजपा ने यहां पूर्व विधायक के बेटे के नाम के चर्चे हैै, पैनल में अन्य नाम गए हुए हैं।

चौहटन: अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर कांग्रेस के मौजूदा विधायक को पहले तो अपनों को मनाना पड़ रहा है, जो नाराजगी तोड़ ही नहीं रहे हैैं। वोटबैंक बड़ा होने से पसीने छूटने लाजमी है। इधर, भाजपा के लिए यहां पर कतार में काफी है लेकिन जिताऊ चेहरा जरूरी है। पिछली हार बाद फिर ऐतबार करें या दूसरा कोई...यह असमंजस अभी जारी है।

बायतु: 2008 में बायतु विधानसभा बनी और यहां सबसे दिलचस्प मुकाबला हर बार रहा है। पिछली बार तो रालोपा प्रत्याशी ने कांटे की टक्कर ला दी। इस बार भी आलम यही है। कांग्रेस, भाजपा और रालोपा तीनों के कार्यकर्ताओं का जोश यहां देखने को मिलता है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म से लेकर मैदान में युवाओं के जोश के साथ मुकाबला रोचक बन पड़ता है। इस सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष की स्थितियां चुनावों से पहले शुरू हो चुकी है।

यह भी पढ़ें : Rajasthan Election 2023: 'मतदाता को जाति के बजाय योग्य व्यक्ति को वोट देना चाहिए, ताकि क्षेत्र का हो विकास'

सिवाना: कांग्रेस यहां से जीत नहीं पा रही है। कांग्रेस को कांग्रेस हरा रही है। इतने गुट हो गए हैं कि आपस में ही एक-दूसरे की टांग खींच रहे हैं। स्थानीय और बाहरी का मुद़्दा भी चल पड़ा है। आवेदन के लिए भी दो जगह बैठक हुई है। टिकट मिलते ही यहां घमासान तय है, भले किसी को मिले। भाजपा के लिए दो बार जीत चुके विधायक के अलावा भी दावेदारी करने वाले हैं। भाजपा यह देखकर संतुष्ट है कि कांग्रेस में लड़ाई ज्यादा है।

पचपदरा: जिला और रिफाइनरी दो बड़ी घोषणाओं बाबद यहां पर पूरा जोर कांग्रेस लगाने के मूड में हैै जिससे कि रिपिट हों लेकिन मुश्किल यह है कि जीत का अंतर यहां इतना नहीं रहता है। थोड़ा सा इधर-उधर होते ही पासा पलटते देर नहीं लगती। जिला बनने के बाद बालोतरा की कांग्रेस राजनीति में बायतु की दखल बढ़ गई है, लिहाजा कांग्रेस को यहां इस समीकरण से लड़ना पड़ रहा है। इधर, भाजपा से यहां दावेदारों की संख्या चुनाव आते-आते बढ़ गई है।

जैसलमेर: कांग्रेस के मौजूदा विधायक रूपाराम के समानांतर अब बड़े कद के नेता ने टिकट की दौड़ में शुरू की है,यहां का सियासी गणित बदल रहा है। भाजपा में दावेदार अनेक है,लिहाजा जातिगत वोटों का गणित देखकर दोनों ही दल दांव खेलेंगे। जैसलमेर-पोकरण दोनों सीटों का गणित एक साथ चलेगा।

पोकरण: नौ सौ से भी कम वोटों की जीत का अंतर पिछले चुनावों में युद्ध की तरह रहा है। इस बार भी स्थितियां यहां वही है। दोनों दलों के लिए यह सीट नाक का सवाल है। कांग्रेस में एक दावेदार है लेकिन भाजप में दो। भाजपा के बड़े नेताओं की दखलअंदाजी भी यहां कम नहीं है।