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Rajasthan Assembly Election 2023: रिफाइनरी कराएगी तरक्की से मेल…पानी निकाल रहा तेल

Rajasthan Assembly Election 2023: जिले की सातों विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करने से एक बात सामने आई कि यहां गैस-पेट्रोल और कोयले के भंडार तो अथाह है, लेकिन पानी के लिए भारी जद्दोजहद है। कई इलाकों में तो हालात यह है कि लोगों को गिन-गिन कर दिन गुजारने पड़ रहे हैं। बायतु और पचपदरा इलाका भी इससे अछूता नहीं।

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राजेन्द्रसिंह देणोक/ बाड़मेर. Rajasthan Assembly Election 2023: जिले की सातों विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करने से एक बात सामने आई कि यहां गैस-पेट्रोल और कोयले के भंडार तो अथाह है, लेकिन पानी के लिए भारी जद्दोजहद है। कई इलाकों में तो हालात यह है कि लोगों को गिन-गिन कर दिन गुजारने पड़ रहे हैं। बायतु और पचपदरा इलाका भी इससे अछूता नहीं। शिव से हमने जब भाडखा के रास्ते बायतु का रुख किया तो रास्ते में सड़कों के अलग-अलग रंग नजर आए। कहीं हाइवे जैसा नजारा तो कहीं खड्डों की भरमार। स्पीड और हिचकौले भरे सफर के बीच भाडखा, खारिया तला, मेहरा जोणियों की बेरी, भीमड़ा होते हुए लीलाड़ा पहुंचे। यहां ऊंचे धोरे पर बकरियों के चारे (लूंख) के लिए खेजड़ी पर टहनियां काटते एक बुजुर्ग पर नजर पड़ी। उन्होंने अपना नाम चेतन मूंड बताया।

मैं कुछ पूछता, उससे पहले ही उन्होंने हमारी कुंडली खंगालनी शुरू कर दी। बच्चों से पानी मंगवाया और चाय की मनुहार की। मैंने गांव की समस्या के बारे में पूछा तो बोले-पानी का भारी संकट है। जैसे ही कैमरा ऑन हुआ उन्होंने बात घुमा दी। बायतु पनजी में गाड़ी को हाथ दिया तो को-ऑपरेटिव सोसायटी के रिटायर्ड मैनेजर नींबाराम को बिठा लिया। चलती कार में ही चर्चा की तो बोले, पानी यहां का बड़ा मुद्दा है। घर-घर कनेक्शन दे रहे हैं, लेकिन पानी कहां से आएगा इसका जवाब किसी के पास नहीं। हजार रुपए में भी पानी का टैंकर नहीं मिल रहा। बायतु पनजी में तीन साल से पाइप लाइन का काम ठप है। हालांकि बालोतरा के मुकेश प्रजापत राज्य सरकार की सस्ते गैस सिलेण्डर और चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना को फायदेमंद मानते हैं। वहीं, पचपदरा के सुरेन्द्र ने बिजली बिलों में रियायत को सराहा।

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...तो खारा पानी कर सकता निहाल
बायतु क्षेत्र में तेल के कुएं बहुतायत में है। यहां के किसान इसलिए परेशान हैं कि जमीन से मटमेला पानी निकल रहा है। बनिया संधा धोरा के पास माडपुरा बरवाला क्षेत्र में खारे पानी के भंडार है। ग्रामीण मांग उठा रहे हैं कि तेल कंपनियां खारे पानी को मीठा बनाने का प्लांट लगाने की दिशा में पहल करें तो क्षेत्र में पानी की किल्लत से काफी हद तक निजात मिल सकती है।


पचपदरा : रोजगार से चमकेगी किस्मत
पचपदरा, बायतु, बालोतरा के लोगों को रिफाइनरी से बड़ी उम्मीदें हैं। रिफाइनरी में स्थानीय लोगों को रोजगार मिले, यह मुद्दा प्रमुख है। बालोतरा के भरतकुमार का कहना था कि जिला बनाने के लिए तो सरकार का आभार, लेकिन पानी की समस्या का भी समाधान करना चाहिए। पचपदरा में मोबाइल शॉप चलाने वाले नीरज सिसोदिया कहते हैं, उनके हिस्से का पानी तो रिफाइनरी में जा रहा है। कपड़ा व्यवसायी ललितकुमार ने बालोतरा से सूरत-अहमदाबाद सीधी रेल की जरूरत बताई।


नमक उद्योग को संजीवनी का इंतजार
कमलेश खारवाल बताते हैं कि पचपदरा में नमक की 500 साल पुरानी खानें थी। यह उद्योग अब चौपट हो रहा है। खानों के पिट्स का भी मुआवजा भी नहीं दिया गया। रिफाइनरी से नि:संदेह विकास होगा, लेकिन स्थानीय लोगों को फायदा मिले तब है। उत्तम जैन कांकरिया कहते हैं, रिफाइनरी का फायदा तभी है जब स्थानीय लोगों को रोजगार मिले। बाहरी लोगों के आने से भी यहां पानी की समस्या खड़ी हुई है। उन्होंने पचपदरा के सुनियोजित विकास को जरूरी बताया।

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जमीनों ने घोली रिश्तों में कड़वाहट
रिफाइनरी के कारण पचपदरा क्षेत्र में जमीनों के भाव आसमान पर हैं। यहां कई होटल और कॉलोनियां विकसित हो रही हैं। प्रोपर्टी का व्यवसाय भी उछाल पर है। इसका फायदा तो लोगों को मिला है, लेकिन रिश्तों में कड़वाहट घुल रही है। भाई-बहनों के संपत्ति विवाद भी बड़ी संख्या में न्यायालयों में आ रहे हैं।

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