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Barmer News: धोरों के बीच छिपा बैठा था हार्डकोर तस्कर, नहीं रखता था फोन, ATS ने घेराबंदी कर पकड़ा

एटीएस के आइजी विकासकुमार ने बताया कि एटीएस व एसओजी के अतिरिक्त महानिदेशक वीके सिंह के निर्देशानुसार चलाए जा रहे ऑपरेशन मदराघव के तहत अवैध पदार्थों की तस्करी में लिप्त हिस्ट्रीशीटर एवं हार्डकोर इनामी तस्कर श्रीराम को गिरफ्तार किया है।

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Rajasthan ATS arrests wanted smuggler from Barmer

पुलिस की गिरफ्त में आरोपी। फोटो- पत्रिका

राजस्थान एटीएस की विशेष टीम ने रविवार को कार्रवाई करते हुए अंतरराज्यीय स्तर पर सक्रिय मादक पदार्थों की तस्करी में लिप्त कुख्यात तस्कर को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। टीम ने ऑपरेशन मदराघव के तहत कार्रवाई की।

एटीएस के आइजी विकासकुमार ने बताया कि एटीएस व एसओजी के अतिरिक्त महानिदेशक वीके सिंह के निर्देशानुसार चलाए जा रहे ऑपरेशन मदराघव के तहत अवैध पदार्थों की तस्करी में लिप्त हिस्ट्रीशीटर एवं हार्डकोर इनामी तस्कर श्रीराम उर्फ संजय निवासी गांव नई बांड, गुड़ामालानी को गिरफ्तार किया है। आरोपी के खिलाफ करीब 15 साल में 23 प्रकरण दर्ज हुए हैं, जो लंबित चल रहे हैं। राजस्थाना पुलिस ने आरोपी की गिरफ्तारी के लिए 25 हजार रुपए का इनाम घोषित कर रखा था।

बर्तन व्यवसाय में था कम मुनाफा, इसलिए तस्करी

पुलिस की पूछताछ में सामने आया है कि आरोपी शुरूआती दिनों में बर्तन बेचने का व्यवसाय करता था, लेकिन ज्यादा मुनाफा नहीं होने पर अधिक पैसे कमाने के लालच में अपराध की राह चुन ली। वर्ष 2010 में तस्करों से संपर्क साधा और मादक पदार्थों की तस्करी शुरू कर दी।

खुद बादशाह बना

मादक पदार्थों की तस्करी के लिए तस्कर भागीरथ जाणी व खरताराम जाट के गिरोह के साथ मिलकर डोडा पोस्त तस्करी कार्य शुरू किया और काम चलता रहा। वर्ष 2018 में तस्कर खरताराम का पुलिस एनकाउंटर होने के बाद उस क्षेत्र का सरगना बन गया और बड़े स्तर पर तस्करी शुरू कर दी।

8 साल जेल काटी, फिर भी नहीं छोड़ा काम

पुलिस की पूछताछ में सामने आया है कि आरोपी श्रीराम को पहले मुकदमे में वर्ष 2012 में गिरफ्तार कर लिया गया था। उस समय 3 साल जेल में रहा और जमानत पर रिहा हुआ, लेकिन तस्करी नहीं छोड़ी। वर्ष 2020 में फिर पकड़ा गया। इसके बाद अप्रेल 2025 में पैरोल लेकर फरार हो गया। अब पुलिस ने दबोच लिया है।

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राजनीति सरंक्षण का फायदा

पुलिस ने बताया कि आरोपी पैरोल से फरार होने के बाद बाड़मेर व जोधपुर में फरारी काटी और पुलिस को चकमा देने के लिए मोबाइल का भी उपयोग नहीं कर रहा था। साथ ही आरोपी के पारिवारिक सदस्य राजनीति में होने के कारण रसूख का फायदा उठा रहा था। पुलिस को टीम को गोपनीय सूचना मिली कि आरोपी धोरों में फरारी काट रहा था। दो माह तक पीछा करने के बाद धोरों के बीच बने झोंपड़े की घेराबंदी कर दबोच लिया।


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