
बाड़मेर. प्रदेश के सरकारी विद्यालयों का नामांकन दो साल पहले एक करोड़ के आंकड़े को छू रहा था लेकिन अब घट कर 85 लाख हो गया है। दो सत्र में आंकड़ा बढ़ा लेकिन इसके बाद फिर वापस वही आ गया है। इसका कारण शिक्षकों की कमी को माना जा रहा है। एक तरफ स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा नहीं हो रही तो दूसरी ओर पदोन्नतियां अटकी हुई है। वहीं, विद्यार्थियों के अनुपात में शिक्षक नहीं लगे होने से भी अभिभावकों व विद्यार्थियों का मोह सरकारी विद्यालयों से भंग हो रहा है।
पग-पग पर खुल रहे सरकारी विद्यालयों ने जहां बारहवीं तक की शिक्षा को गांव-गांव तक पहुंचा दिया है तो वहीं शिक्षकों की कमी का असर अब नामांकन पर नजर आ रहा है। शिक्षा सत्र 2019-20 में प्रदेश के सरकारी स्कूलों में नामांकन 8542340 था जो अगले सत्र में 8958789 हो गया तो 2021-22 के शिक्षा सत्र में यह आंकड़ा बढ़ एक करोड़ के नजदीक पहुंचकर 98,96,349 हो गया। इसके बाद पिछले दो सत्र में लगातार आंकड़ा घट रहा है जो अब 8572147 तक नीचे आ गया है। ऐसे में दो सत्र में नामांकन बढ़ोतरी हुई तो पिछले दो साल में लगभग उतना ही नामांकन घट भी गया।
शिक्षकों की कमी से गड़बड़ाया आंकड़ा- जानकारों के अनुसार सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के चलते नामांकन का आंकड़ा गड़बड़ा गया है। एक तरफ जो विद्यालय पिछले दो सत्र में क्रमोन्नत हुए हैं, वहां पद स्वीकृत ही नहीं है। वहीं, स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा नहीं होने से बच्चों के अनुपात में शिक्षक पद स्वीकृत नहीं हो रहे। इधर, डीपीसी भी अटकी हुई है जिसका असर भी नजर आ रहा है क्योंकि व्याख्याता, वरिष्ठ अध्यापक पदों पर क्रमोन्नति नहीं हो रही।
पदरिक्तता के कारण कम हुआ नामांकन
विद्यालय क्रमोन्नति के बाद 2 वर्ष तक पद स्वीकृत नहीं किए गए है। वरिष्ठ अध्यापक व व्याख्याता की पदोन्नति पिछले तीन सत्र से बकाया चल रही है। पदरिक्तता के कारण नामांकन में कमी हुई है। सीधी भर्ती भी लम्बे समय तक प्रक्रियाधीन रहने के कारण पदरिक्तता का ग्राफ बढ़ता गया। अतः अतिशीघ्र क्रमोन्नत विद्यालयों में पद स्वीकृत करके बकाया पदोन्नतियों की जानी चाहिए। - बसंतकुमार जाणी, जिलाध्यक्ष, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ रेस्टा
Published on:
07 Jan 2024 01:00 am
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