Rajasthan New Railway Line: तीन दशक से लंबित जैसलमेर-बाड़मेर-भाभर रेललाइन परियोजना को लेकर नई उमीद जगी है। केंद्रीय रेल मंत्री ने इस प्रस्तावित रेलमार्ग के सर्वे के लिए 10 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं।
Jaisalmer-Barmer-Bhabhar Railway Line: बाड़मेर/जैसलमेर: सामरिक और विकास की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण मानी जा रही जैसलमेर-बाड़मेर-भाभर नई रेल लाइन परियोजना को लेकर लंबे इंतजार के बाद बड़ी राहत की खबर आई है। लगभग तीन दशक से लंबित इस रेल प्रोजेक्ट के लिए रेल मंत्रालय ने 10 करोड़ रुपए की लागत से अंतिम स्थान सर्वेक्षण और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने की मंजूरी दे दी है।
यह रेल लाइन पश्चिमी राजस्थान को गुजरात और दक्षिण भारत से जोड़ने का वैकल्पिक, छोटा और तेज मार्ग बनेगी। उक्त प्रोजेक्ट को लेकर बाड़मेर-जैसलमेर-बालोतरा लोकसभा क्षेत्र के सांसद उमेदाराम बेनीवाल की पैरवी की जा रही थी। रेल मंत्री से सीधी मुलाकात के साथ-साथ संसदीय स्थायी समिति की बैठकों में भी सांसद ने इस योजना की मजबूती से पैरवी की थी।
रेल मंत्रालय से मिली स्वीकृति के तहत 380 किलोमीटर लंबी इस प्रस्तावित रेल लाइन के लिए 9.50 करोड़ रुपए की लागत से सर्वे होगा, जबकि जैसलमेर के सोनू से रामगढ़ तक 20 किलोमीटर की अतिरिक्त रेल कनेक्टिविटी के लिए 50 लाख रुपए मंजूर किए गए हैं। कुल 10 करोड़ की इस योजना पर उत्तर पश्चिम रेलवे विस्तृत सर्वे और डीपीआर तैयार करेगा।
रेल लाइन पर 31 स्टेशन बनना संभावित हैं। रेल मार्ग से न केवल सोनू जैसे खनिज क्षेत्र और सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण रामगढ़ को जोड़ा जाएगा, बल्कि बनासकांठा और भाभर जैसे गुजरात के क्षेत्रों को भी सीधे जोड़ा जाएगा। यह परियोजना न केवल सीमावर्ती क्षेत्रों की कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करेगी, बल्कि व्यापार, पर्यटन और सामाजिक-आर्थिक विकास को भी गति देगी। जैसलमेर-बाड़मेर जैसे रेगिस्तानी और सामरिक रूप से संवेदनशील जिलों को देश के प्रमुख औद्योगिक और रक्षा केंद्रों से जोड़ने का यह रणनीतिक कदम माना जा रहा है।
प्रस्तावित रेल लाइन के माध्यम से राजस्थान और गुजरात के पश्चिमी हिस्से न केवल दिल्ली और मुंबई जैसे औद्योगिक केंद्रों से जुड़ेंगे, बल्कि अहमदाबाद होते हुए यह लाइन दक्षिण भारत के प्रमुख शहरों पुणे, बेंगलुरु, हैदराबाद और चेन्नई तक पहुंच प्रदान करेगी। इससे इन क्षेत्रों में रहने वाले प्रवासियों को आवागमन की बेहतर सुविधा मिलेगी।
रेल संपर्क मजबूत होने से भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा बलों को भी लॉजिस्टिक सपोर्ट तेजी से मिल सकेगा। सीमावर्ती इलाकों तक सैन्य संसाधनों की आपूर्ति सुगम होगी, जिससे सामरिक क्षमता में बढ़ोतरी होगी।
सांसद उमेदाराम बेनीवाल ने कहा कि यह ऐतिहासिक निर्णय न केवल मेरे संसदीय क्षेत्र बल्कि पूरे पश्चिमी भारत के लिए एक बड़ी सौगात है। मेरा प्रयास रहेगा कि आगामी केंद्रीय बजट में इस परियोजना की विधिवत घोषणा हो और जल्द से जल्द इसका क्रियान्वयन हो। यह सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए विकास का नया द्वार खोलेगा।