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गौरवशाली इतिहास को किया याद, धूमधाम से मनाया सिवाना का स्थापना दिवस

- एक हजार पहले बसा था सिवाना

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glorious history, Foundation Day of siwana

Recalled the glorious history Celebrated Foundation Day of siwana

सिवाना. सिवाना स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में रविवार को कार्यक्रम हुए, जिसमें कस्बे सहित आसपास के गांवों के ग्रामीणों ने भाग लिया। रविवार सवेरे आठ बजे कस्बे के अम्बेडकर सर्किल से मैराथन दौड़ का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में युवा,बुजुर्ग व बच्चो ने भागीदारी निभाई। राउप्रावि सोलंकियों की बास में बॉलीबाल मैच हुआ, जिसमे प्रथम ग्रामीण सिवाना व द्वितीय पादरू टीम रही। दोपहर में राउमावि प्रांगण में निबन्ध, सामान्य ज्ञान एवम भाषण प्रतियोगिताए हुई,350 युवाओं, छात्र- छात्राओं ने शिरकत की । दोपहर बाद सदर बाजार से सिवाना उत्सव की को लेकर शोभायात्रा ढोल नगाड़ों के साथ निकाली गई। झांकियां आकर्षण का केन्द्र रही। शोभायात्रा में जन सैलाब नजर आया।शोभायात्रा कस्बे के बस स्टैंड, गांधीचौक, मोकलसर रोड, पादरू रोड होते हुए पुन: सदर बाजार पहुंची, जहां समापन समारोह संत गोपालराम सिवाना के सान्निध्य में किया गया। मुख्य अतिथि विधायक हमीरसिंह भायल थे। समारोह में विभिन्न प्रतियोगिताओं में अव्वल रहे प्रतिभावानों व विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वालो को अतिथियों ने गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया। विधायक ने कहा कि संत-शूरमाओं की धरती सिवाना का समूचे मारवाड़ में ऐतिहासिक महत्व सर्वविदित है। करीब एक हजार साल पूर्व परमार शासक वीर नारायण ने कुमठाणा गढ़ के नाम से सिवाना बसाया था। सिवाना का इतिहास अपने आप मे अविस्मरणीय है। सिवाना दुर्ग के विकास एवं गौरवशाली इतिहास को देश तथा विश्व पटल पर लाने के लिए हर सम्भव प्रयास जारी है।
यह है सिवाना का इतिहास- आयोजन कमेटी के सयोजक जीवराज वर्मा ने कहा कि सिवाना की स्थापना ईसवी सन 1077 में परमार शासक वीर नारायण ने की थी । कस्बे को सिवियाना व इसके बाद सिवाना के नाम से सम्बोधित किया जाने लगा। उसके बाद चौहान शासकों का आधिपत्य रहा, जिन्होंने अलाउद्दीन खिलजी की सेना के दांत खट्टे कर दिए । महाकवि पद्मनाभ ने भी वर्णन किया है। चौहान शासकों के बाद राठौड़ जेतमाल, राव मालदेव का आधिपत्य रहा। आगे चलकर उनके पुत्र राव कल्ला राठौड़ सिवाना के शासक बने। वो बड़े अदम्य साहस के धनी व दयावान शासक रहे, जिन्हें क्षेत्र की जनता आज भी प्राचीन दुर्ग पर स्थित उनकी पवित्र समाधि पर प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले मेले में श्रद्धा पूर्वक याद करती है। इतिहासकार जेठूसिंह राव ने विभिन्न शासकों के वीरता उनके पराक्रम व दानवीरता की जानकारी दी। हुकमसिंह अजीत, तहसीलदार कालूराम कुम्हार सिवाना, सुरेंद्रसिंह खंगारोत समदड़ी, जिला परिषद सदस्य सोहनसिंह भायल सहित वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए। इस मौके पर कमेटी के सदस्य नरेन्द्रसिंह सिवाना, सुरेंद्रसिंह, हनुमानप्रसाद दवे, हितेश अग्रवाल, गजेंद्र शर्मा सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। संचालन रुगनाथराम चौधरी ने किया।