बाड़मेर

बहु घर में स्वर्ग लाने का प्रयास करें : मुनि

- सास-बहु कार्यशाला आयोजित

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Saas-multi workshop organized

बालोतरा. नगर के न्यू तेरापंथ भवन में मुनि दर्शन कुमार, मुनि स्वस्तिक कुमार, मुनि सुपाश्र्व कुमार के सान्निध्य में तेरापंथ महिला मंडल बालोतरा की ओर से कनेक्शन विद रिलेशन सास व बहू कार्यशाला हुई। मंत्री रानी बाफना ने बताया कि नमस्कार महामंत्र से शुरुआत की गई। महिला मंडल ने प्रेरणा गीत की प्रस्तुती दी।

अध्यक्ष अध्यक्ष अयोध्या देवी ओस्तवाल ने स्वागत किया। मुनि स्वस्तिक कुमार ने कहा कि हमें जरूरत है सबसे पहले जुड़ाव की। जुड़ाव होता है, तब कनेक्शन बैठता है। नए पौधे को यदि फलवान करना है, तो समय-समय पर उसकी देखरेख करें। सास बहू हो या और कोई रिश्ता।

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उसमें जुड़ाव बनाने के लिए सर्वप्रथम उसमें जरूरत है आपसी सामंजस्य बिठाने की। उसमें समय लगता है। इसके लिए सबसे पहले प्यार से व्यवहार करें।

यह प्रयास करें कि स्वर्ग को घर के अंदर ला सके। आचार्य महाप्रज्ञ ने कहा था कि लोक सुधरने पर परलोक अपने आप सुधरेगा। कार्यक्रम में उपाध्यक्ष निर्मला संकलेचा, उर्मिला सालेचा, सह मंत्री संगीता देवी बोथरा, प्रचार मंत्री संतोष वेद मेहता सहित बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद थी।

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महान तीर्थ शंत्रुजय महातीर्थ- मनितप्रभसागर

बाड़मेर. शहर के जैनम भवन में आयोजित धर्मसभा में शुक्रवार को मुनि मनितप्रभ सागर ने जनसमुह को शत्रुंजय महातीर्थ की भावयात्रा कराते हुए कहा - जिस प्रकार नदियों में गंगा नदी, पर्वतों में मेरूपर्वत, वृक्षों में कल्पवृक्ष की महिमा है ठीक उसी प्रकार तीर्थों में यदी कोई महान तीर्थ है तो वह शंत्रुजय महातीर्थ है।

शंत्रुजय तीर्थ शाश्वत तीर्थ है। मुनि मनितप्रभसागर सुबह गणधर गौतम स्वामी वाटिका से चार्तुमास स्थान परिवर्तन कर जैनम भवन पहुचें।

जैन मुनि भगवंतों का नवकल्पी विहार का आचार - आचार्य कवीन्द्रसागर

बाड़मेर. शहर के साधना भवन में शुक्रवार को आचार्य कवीन्द्रसागर व मुनि कल्पतरूसागर का नवकल्पी विहार हुआ। नरेन्द्र जैन विनय ने बताया साधना भवन से विहार कर पीपली चौक, ढाणी बाजार होते हुए अशोक वडेरा के घर पहुंचे। विहार के दौरान जैन परिवारों की ओर से गंवली बनाकर आचार्य का आशीर्वाद लिया।

इस मौके पर आचार्य ने कहा कि जैन मुनि भगवंतों के जीवन का नवकल्पी विहार का आचार होता है जिसकी पालना करना जैन शासन की बलिहारी है।

मुनि कल्पतरूसागर ने बताया कि श्रावक के छ: कर्तव्य बताये गये है जिनेन्द्र पूजा, गुरू की उपासना, अनुकंपा, सुपात्रदान, गुणवान व्यक्ति के गुणों का अनुराग और परमात्मा के वचन के प्रति श्रद्धा रखना। इन 6 कर्तव्य की पालना करना प्रत्येक श्रावक-श्राविका का धर्म हैं।

इस अवसर पर हनुमानचन्द बोहरा, सम्पतराज वडेरा, बच्छराज वडेरा, हंसराज कोटडिय़ा, बाबुलाल वडेरा, प्रकाशचन्द बोथरा, नरेन्द्र श्रीश्रीमाल, वेदमल बोहरा, बाबुलाल श्रीश्रीमाल आदि श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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Published on:
24 Nov 2018 08:24 pm
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