
रतन दवे
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव से अब बॉर्डर के लोग भी अलर्ट हो गए है। पश्चिमी सीमा के बाड़मेर-जैसलमेर में 1999 के करगिल युद्ध के समय में बने बंकरों की सुध ली जा रही है तो दूसरी ओर जम्मू कश्मीर में घरों में बनाए गए अण्डरग्राउंड में लोग रात बिताने पहुंच रहे है।
जम्मूू कश्मीर के अरनिया सेक्टर के आखिरी गांव त्रेवा की पूर्व सरपंच बलबीर कौर ने बताया कि गांव में अण्डरग्राउंड (बंकर) स्थायी बनाए हुए है। यह बंकर की तरह है। रात को अब परिवार सहित इसमें सो जाते है। दिन में घर में रहते है। जीरो लाइन सरहद की तरफ फसल कटाई का बुधवार को अंतिम दिन था, आज से अब फसलें काटने भी नहीं जाएंगे। स्कूल और सार्वजनिक भवन साफ कर दिए है, ताकि यहां आपात स्थिति में शिफ्ट हो सकें।
हलचल पर है नजर- पश्चिमी सीमा के बाड़मेर सरहद के आखिरी गांव अकली के ठीक सामने 500 मीटर पर बॉर्डर है। ग्रामीण कालूराम मेघवाल बताते है कि आतंकी हमले के बाद भारत-पाक युद्ध की संभानाओं की चर्चाएं हैं। अभी बॉर्डर के सामने पाकिस्तानी हलचल भी नजर आती है। यहां अभी ऐसा कोई माहौल नहीं है लेकिन सचेत हैं। रात में भी जागकर कई बार स्थिति देखते है।
बॉर्डर के निकट के गांवों में अब धारा 144 की पालना की सख्ती लागू कर दी गई है। यहां पर शाम सात बजे के बाद से सुबह तक रात्रि विचरण नहीं हो रहा है। पुलिस, बीएसएसफ और खुफिया एजेंसियां मुश्तैद हैं।
बॉर्डर के गांवों में तूफान के पहले की खामोशी छा गई है। क्या होगा? यह सवाल इन लोगों के जेहन में रात-दिन चल रहा है। 1947 का बंटवारा, 1965 और 1971 की लड़ाई और 1999 के करगिल युद्ध का वक्त देख चुके सरहद के बाशिंदें जानते है कि कुछ भी होने पर बंदिशें शुरू जाएगी। आखिरी गांव तामलौर के सरपंच हिन्दूसिंह कहते हैं कि हम तो सीमा के रक्षक हैं। इन परिस्थितियों से पीछे होना होता तो यहां थोड़े ही बसते।
Published on:
01 May 2025 09:58 am
बड़ी खबरें
View Allबाड़मेर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
