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Rajasthan Crime: शगुन पर भरोसा… सुरक्षा कड़ा मंत्रबद्ध करवाने गया था उज्जैन; लौटते ही शातिर तस्कर अरेस्ट

साइक्लोनर टीम ने ऑपरेशन कपिश्रम के तहत साढ़े तीन साल से फरार 40 हजार रुपए के इनामी तस्कर और उसके साथी को पकड़ लिया

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Smuggler-Hanuman-Ram

शातिर तस्कर हनुमानराम और उसका साथी

बाड़मेर। पुलिस महानिरीक्षक (रेंज) जोधपुर कार्यालय की साइक्लोनर टीम ने ऑपरेशन कपिश्रम के तहत साढ़े तीन साल से फरार 40 हजार रुपए के इनामी तस्कर और उसके साथी को पकड़ लिया। इनामी आरोपी बाड़मेर व बालोतरा में ड्रग्स तस्कर गिरोह का किंगपिन है। दोनों आरोपी सुरक्षा कड़ा मंत्रबद्ध करवाने उज्जैन गए थे, लेकिन संत की मृत्यु होने पर बगैर मंत्रबद्ध करवाए लौट रहे थे। तब कापरड़ा के पास पकड़ में आए।

आइजी (रेंज) विकास कुमार ने बताया कि बालोतरा में गिड़ा गांव निवासी हनुमानराम पुत्र जवाराराम और जैसलमेर में फलसूण्ड निवासी जुगताराम उर्फ जीतू पुत्र भंवरलाल को उज्जैन से कार में लौटने के दौरान जोधपुर सीमा में प्रवेश करते ही कापरड़ा के पास पकड़ा गया। हनुमानराम शातिर तस्कर है।

वह अपने साझेदार व शातिर तस्कर जस्साराम के पिछले साल पकड़े जाने के बाद से सरगना बना हुआ था। उस पर 40 हजार रुपए का इनाम था। उसके खिलाफ राजसमंदर, पाली, बालोतरा व अन्य जिलों में दर्जनभर मामले दर्ज हैं। वहीं, जुगताराम के खिलाफ जैसलमेर, बाड़मेर, हनुमानगढ़ व जोधपुर में 4-5 मामले दर्ज हैं। गत दिनों शेरगढ़ थाने में जब्त मादक पदार्थ के मामले में वह वांछित था।

मादक पदार्थ लेने जाने से पहले शगुन देखता था आरोपी हनुमान

आरोपी हनुमान मादक पदार्थ लेने जाने से पहले शगुन देखता था। फिर घर से बाहर निकलता था। एक साल पहले उज्जैन से आए महाराज ने रुपए लेकर उसे मंत्रबद्ध वाला एक कड़ा दिया था। महाराज ने कहा था कि इसके मंत्र का असर एक साल रहेगा। तब तक उसे पुलिस पकड़ नहीं पाएगी। उसने कड़ा अपनी बांह में पहना था। पिछले दिनों एक साल हो गया था। वह कड़े को फिर से मंत्रबद्ध कराने जुगताराम के साथ कार में उज्जैन गया था। महाराज के मठ में जाने पर पता लगा कि उनका कुछ माह पहले ही निधन हो गया था।

शिष्यों ने अवगत कराया कि मुख्य शिष्य साधना कर रहे हैं तब वो दुबारा आ जाएं तो कड़ा मंत्रबद्ध कर देंगे। उन्हें राशि देकर दोनों उज्जैन से रवाना हुए। हनुमान ओंकारेश्वर महादेव मंदिर, बुगलामुखी देवी मंदिर के दर्शन कर मुंबई जाना चाहता था, लेकिन जुगताराम ने शादी में जाने की वजह से जोधपुर चलने का आग्रह किया था। तब वह कोटा में कोचिंग कर रही बेटी से मिलने पहुंचा। पीछा कर रही पुलिस उसे बेटी के मकान से पकड़ने की कोशिश में थी, लेकिन वह आधा घंटा रूककर ही रवाना हो गया था। ऐसे में साइक्लोनर की दूसरी टीम को सूचना दी गई। जिसने बर से उसका पीछा शुरू किया और जोधपुर आते ही पकड़ लिया।

पिता शिक्षक, भाई इंजीनियर

हनुमान के पिता शिक्षक व छोटा भाई मुबई में इंजीनियर है। हनुमान बचपन से मारपीट व झगड़े करता था। वाहन चोरी करते हुए वह तस्करी में लिप्त हो गया था। पिता ने मल्टीलेवल मार्केटिंग, कर्नाटक में कपड़े व टैक्सी का काम कराया था, लेकिन वह गलत दिशा में चला गया।

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ऐसे क्षेत्र के तस्करों की नजर में आया

झगड़े, मारपीट व दुस्साहस और तेज रफ्तार में वाहन चलाने से वह क्षेत्र के तस्करों की नजर में आया था। शादी में मिलने के बाद जस्साराम ने उसे अपने साथ रख साझेदार बना लिया था। फिर वो ट्रक भरकर डोडा लाने लगा। जस्साराम के चित्तौड़गढ़ जाने से तस्करों के सपर्क में आ गया था। जल्द ही वह जस्साराम से अलग हो गया था। कोरोना में वह हर माह लाखों रुपए तस्करी से कमाने लग गया था।


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