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पहले अकेले रहने की पीड़ा, अब एकल होने का दंश

डार्क जोन से हुआ तबादला,एकल शिक्षक होने से नहीं हो पा रहे कार्यमुक्त - करीब दो हजार शिक्षकों की पीड़ा, कौन समझेगा दर्द

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पहले अकेले रहने की पीड़ा, अब एकल होने का दंश

पहले अकेले रहने की पीड़ा, अब एकल होने का दंश

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फैक्ट फाइल

जिले में प्राथमिक शिक्षा विभाग के अधीन विद्यालय- 3984 शिक्षकों के स्वीकृत पद 15933 वर्तमान में कार्यरत शिक्षक-9330 स्थानांतरित शिक्षकों की तादाद- 2000, एकल शिक्षक- 714, स्थनांतरित एकल शिक्षक-600

बाड़मेर. घर-परिवार से कोसो दूर अकेले रहकर नौकरी करनी की पीड़ा जिले के दो हजार से ज्यादा शिक्षक दशक-डेढ़ दशक से भुगत रहे हैं। उनकी यह पीड़ा सरकार ने अब समझी और डार्क जोन में होने के बावजूद गृह जिलों में स्थानांतरण किया, लेकिन अब भी अकेले होने की दंश उन्हें भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि वे जिन विद्यालयों में लगे हुए हैं, वहां एकल शिक्षक है। एेसे में कार्यमुक्त करने में दिक्कत आ रही है। दस जून तक उनको कार्यमुक्त करना है, लेकिन चार्ज किसे दें, यह अब तक नहीं पता है। इसके चलते उनको कार्यमुक्त होने की अंतिम तिथि से पहले ही अकेले रहने का दर्द फिर से सहना पड़ रहा है। वहीं, शिक्षा विभाग के अनुसार स्पष्ट आदेश है कि एकल शिक्षकों को कार्यमुक्त नहीं किया जाए, इसके चलते उनको कार्यमुक्त करना संभव नहीं है। जिले में बाहरी जिले के करीब छह सौ शिक्षक वर्तमान में एकल शिक्षक हैं, जिनको यह पीड़ा सहनी पड़ रही है।

बाड़मेर, जैसलमेर सहित प्रदेश के दस जिलों को शिक्षा विभाग ने डार्क जोन में रखा है। यहां बाहरी जिला स्थानांतरण पर रोक लगी हुई है। इसके चलते सालों से दूसरे जिलों के शिक्षक यहां कार्यरत है। लम्बे समय से स्थानांतरण पर लगी रोक हटाने की मांग चल रही है, जिसे इस बार सरकार ने माना और प्राथमिक शिक्षा के करीब दो हजार शिक्षकों को गृह जिले में जाने की छूट मिल गई। इन शिक्षकों को लम्बे समय से घर से सैकड़ों किमी दूर रह कर अकेले रहने की पीड़ा सहनी पड़ी, एेसे रोक हटने पर इनकी खुशी दुगुनी हो गई। यह खुशी अब काफूर होती नजर आ रही है। क्योंकि इनमें से काफी शिक्षक एेसे विद्यालयों में कार्यरत हैं, जहां वे एकल है। एेसे में अब उन्हें कार्यमुक्त होने से पूर्व किसी को चार्ज देना होगा। विद्यालय में दूसरा शिक्षक नहीं होने से वे किसे चार्ज दें, यह समस्या आ रही है।
विभाग की परेशान- यह समस्या इन एकल शिक्षकों की ही नहीं, शिक्षा विभाग की भी है। एक साथ थोक के भाव तबादले होने से पहले से ही शिक्षकों की कमी झेल रहे प्राथमिक शिक्षा विभाग में और अधिक रिक्तता आ गई है। इसका असर यह है कि विभाग भी सोच रहा है कि आखिर किस विद्यालय से शिक्षक भेजकर इनको कार्यमुक्त करें।

सरकार ने कहा रिलीव नहीं करें- सरकार ने बाहरी जिले के शिक्षकों को यह खुशी तो दे दी कि उनको तबादला गृह जिले में हो गया है, लेकिन एक रोड़ा अटका दिया। आदेश में लिख दिया कि एकल शिक्षक होने पर उन्हें कार्यमुक्त नहीं करें। एेसे में दो हजार में से अधिकांश शिक्षकों को इस आदेश का फायदा नहीं मिल रहा। वे एकल शिक्षक होने से तबादला होने के बावजूद कार्यमुक्त नहीं हो पा रहे हैं।
दस साल से मिली खुशी, अधूरी- करीब दस साल से जिले में कार्यरत हूं। बार-बार मांग के बाद जाकर सरकार मानी, लेकिन अब एकल शिक्षक होने से कार्यमुक्त नहीं किया जा रहा। फिर इस आदेश का हमें क्या फायदा मिला।-रामजीवन यादव, पीडि़त शिक्षक

खुशियां दिखा, दर्द दिया- यह तो खुशियां बता कर दर्द देने जैसी बात है। एक तरफ जहां तबादला कर दिया तो दूसरी ओर कार्यमुक्त नहीं किया जा रहा। एेसे में सैकड़ों शिक्षकों को स्थानांतरण का लाभ नहीं मिल रहा है। सरकार सभी शिक्षकों को कार्यमुक्त करने की व्यवस्था करें।
सरकार का आदेश- सरकार ने एकल शिक्षकों को कार्यमुक्त नहीं करने के निर्देश दे रखे हैं। एेसे में हम एकल शिक्षकों को कार्यमुक्त नहीं कर रहे हैं।- गोपालसिंह सोढ़ा, जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक शिक्षा