
The refinerys foundation stone But due to this The public in doubt
बालोतरा. गुजरात चुनाव के बाद अब राजस्थान विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटी सरकार ने बाड़मेर रिफाइनरी के शिलान्यास की तारीख तय कर दी है लेकिन पहले लग चुकी शिला भी यहां लोगों को चार साल छल चुकी है। फिर चुनावी साल की यह चाल न हों इस कारण लोगों को कार्यक्रम का तो विश्वास है पर रिफाइनरी लगने का एेतबार नहीं हो रहा है।
पूर्व की घोषणा भी चुनावी साबित हुई थी
जिले में तेल खोज व उत्खनन के बाद पूर्व की प्रदेश सरकार ने बायतु के लीलाला में रिफाइनरी स्थापना का निर्णय लिया था, लेकिन किसानों के भूमि अवाप्ति को लेकर विरोध पर स्थान परिवर्तन करते हुए इसे पचपदरा में स्थापित करने का फैसला लिया। यहां 22 सितम्बर 2013 को कार्यक्रम में सोनिया गांधी ने रिफाइनरी स्थापना के लिए शिलान्यास किया था। शिलान्यास के ठीक 11 दिन बार प्रदेश में नई सरकार केे गठन को लेकर निर्वाचन आयोग ने 4 अक्टूबर 2013 को चुनाव आचार संहिता लागू की थी। इस पर प्रदेश सरकार की ओर से रिफाइनरी को लेकर किया गया शिलान्यास चुनावी घोषणा भर ही साबित हुआ
चार साल तक अटकाए रखा
प्रदेश में नई बनी सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार के रिफाइनरी स्थापना को लेकर किए अनुबंध को प्रदेश के लिए महंगा सौदा मानते हुए इसे रिव्यू के नाम पर अटकाए रखा। सरकार के चार वर्ष का शासन पूर्ण हो चुका है। प्रदेश के चुनाव में एक वर्ष है। ऐसे में सरकार ने रिफाइनरी स्थापना को लेकर दुबारा शिलान्यास की घोषणा की है और इसके लिए 14 जनवरी को प्रधानमंत्री के आने का कार्यक्रम है।
जमीनों में आया था बूम
2013 में पचपदरा में रिफाइनरी स्थापना के फैसले पर शहर व क्षेत्र के जमीन कारोबार में बूम आ गया था। पचपदरा, भाण्डियावास, मूंगड़ा, पाटोदी, आदि गांवों में जमीनों की खूब खरीद फरोख्त हुई थी। एक अनुमान के तौर पर करीब 700 से 800 बीघा जमीन की बिक्री व खरीद हुई थी। 7 से 12 लाख रुपए प्रति बीघा के दामों में भी जमीन बिकी थी। फिर जैसे ही यह मामला अटका मंदी की मार ने लोगों को बेहाल कर दिया। अब पुन: शिलान्यास की तारीख तय होने पर भी लोग जमीन के कारोबार में ज्यादा रुचि नहीं ले रहे हंै।
Published on:
28 Dec 2017 10:30 am
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