
There is still time .... Cheto
रतन दवे.
शांत माने जाने वाले बाड़मेर जिले में खनिज और तेल की वजह से आ रहे बेहिसाब पैसे ने तरक्की के साथ अपराध बढ़ा दिया है। जहां सीमावर्ती क्षेत्र के कई थानों आज भी सालभर में 20-30 एफआइआर भी दर्ज नहीं होती वहां दूसरी ओर हैदराबाद के दो लोगों का अपहरण कर एक करोड़ की फिरौती मांगने की घटना रोंगटे खड़े कर रही है।
दुस्साहस देखिए अपहरणकर्ता दो लोगों को उठाकर ले गए और दो दिन तक धोरों में लेकर घूमते रहे लेकिन कानों कान खबर नहीं होने दी। यह तो अपहृत एमडी की सूझबूझ रही कि न केवल उसने बैंक से फिरौती का रुपया रद्द करवाया कंपनी को भी संकेत दे दिया कि पुलिस को बता दे, दबे नहीं।
दो दिन बाद पुलिस को पता चला तो अपराधी धरे गए। पखवाड़ेभर पहले एक कंपनी की बैठक में पहुंचकर बदमाशों ने मारपीट कर दी। इसी महीने एक कंपनी के कैम्प में घुसकर तोडफ़ोड़ की घटना भी हुई है। डोडा-पोस्त को लेकर तस्कर आमने-सामने हो रहे थे तो तेल व खनिज से जुड़ी कंपनियों में काम हथियाने के लिए दबंगों और रसूखदारों ने अपनी गैंग खड़ी कर दी है।
काम हाथ से निकलते ही अपराध के हथियार लेकर आमने-सामने होने लगे है। बाड़मेर में जहां रिफाइनरी का 43 हजार करोड़ का बड़ा काम होने वाला है और तेल-खोज को लेकर अब लाखों करोड़ निवेश होंगे वहां रुपयों के साथ बढ़ रहा अपराध समाज के लिए खतरा बन रहा है।
इससे निजात के लिए समय रहते पुलिस-प्रशासन और समाज को खड़ा होना होगा। राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि जहां पर इतना बड़ा निवेश हो रहा हों वहां पुलिस के विशेष थाने स्थापित हों। एेसे तत्व जो यहां गैंग खड़ी कर रहे है उन पर नियंत्रण का विशेष अभियान चलाया जाए।
पुलिस को तो यह भी नहीं पता है कि कितने लोगों ने अब तक बाड़मेर में अवैध हथियार ले लिए है? हथियारों का बार-बार बाड़मेर में सामने लाना संकेत दे रहा है कि मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र से यहां अवैध हथियार आने लगे है। स्मैक का नशा भी जड़ें जमा रहा है।
अपराध और नशे के इस नेटवर्क को तोडऩे का जिम्मा पुलिस का है लेकिन पुलिस में पचास से ज्यादा साल से एक ढर्रा अपना रखा है कि थाना क्षेत्र में जिस जाति के ज्यादा लोग है उसी जाति के थानेदार और कांस्टेबल को तरजीह दी जाए।
पहले के जमाने में यह समझ थी कि अपनी जाति के लोगों को समझाइश कर ली जाएगी लेकिन अब उल्टा होने लगा है। पुलिस में भी जातिवाद घर करने लगा है।
लिहाजा अपराधियों को पुलिस की ही शह मिलने का नतीजा है कि स्थितियां अनियंत्रित हो रही है। समय रहते बाड़मेर में तेल-पैसा और गैंगवार को नहीं समझा गया तो क्षेत्र में अपराधियों के हौंसले पस्त करना मुश्किल हो जाएगा।
Published on:
27 Oct 2019 05:15 pm
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