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रेगिस्तान में मरुगंगा: सूखे कुओं में आया पानी, लोग पूजा कर प्रसाद चढ़ा रहे, जानें खास बातें

मरुगंगा के नाम से प्रसिद्ध लूणी नदी में चार वर्ष बाद फिर से पानी की आवक होने से आमजन व किसानों के चेहरे खुशी से खिल उठे हैं। समूचे क्षेत्र में इन दिनों उत्सव जैसा माहौल है।

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Water came in Luni river after four years festive atmosphere in barmer

बालोतरा(बाड़मेर)। मरुगंगा के नाम से प्रसिद्ध लूणी नदी में चार वर्ष बाद फिर से पानी की आवक होने से आमजन व किसानों के चेहरे खुशी से खिल उठे हैं। समूचे क्षेत्र में इन दिनों उत्सव जैसा माहौल है। लोग नदी का पूजन कर प्रसाद चढ़ा खुशियां मना रहे हैं। जिले के रेगिस्तान के लिए लूणी नदी किसी ईश्वरीय वरदान से कम नहीं है।

अजमेर की नाग पहाडिय़ों के उद्गम स्थल से प्रारंभ होने वाली यह नदी नागौर, पाली, जोधपुर, बालोतरा, बाड़मेर, जालोर जिले से होकर गुजरती है। 495 किलोमीटर लंबाई में फैली यह नदी बालोतरा के रामपुरा गांव से प्रवेश करती है। यहां से यह महेश नगर, खंरटिया, मजल, पातों का बड़ा, अजीत, चारणों का बाड़ा, भलरों का बाड़ा, भानावास, समदड़ी, सिलोर, जेठतंरी, पारलू, कनाना, सराणा, बिठूजा, भिंडाकुंआ, बालोतरा, तिलवाड़ा होते हुए सिणधरी से जालोर जिले में प्रवेश करती है। यहां से सांचौर होते हुए क'छ रण में जाकर मिल जाती है। बरसाती लूणी नदी पूरे क्षेत्र के लाखों लोगों की जीवन रेखा है।

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नदी क्षेत्र के कुओं का जलस्तर बढ़ा
नदी जिला बालोतरा- बाड़मेर के दर्जनों गांव से होकर गुजरती है। इससे नदी के दोनों किनारों के गांव द्धिफसली है। इन गांवों में कई हजार कुएं हैं। नदी से मिलने वाले पानी से किसान रबी में गेहूं, जीरा, सरसों, अरंडी आदि फसलों की बुवाई करते हैं। वहीं नदी के जल स्तर में सुधार होने से आसपास के गांवों के लोगों को पीने के लिए मीठा पानी उपलब्ध होता है। नदी में पानी की हुई आवक से आमजन व किसान खुशी से झूम रहे हैं।

4 वर्ष बाद फिर हुई पानी की आवक
लूणी नदी में इससे पहले वर्ष 2019 में पानी की आवक हुई थी। एक पखवाड़े से अधिक समय तक नदी में पानी के बहाव से लूनी नदी के जलस्तर में काफी बढ़ोतरी हुई थी। इससे कई वर्ष तक शहर व क्षेत्र के लोगों को जरूरत अनुसार पानी उपलब्ध हुआ। इस वर्ष फिर से पानी की आवक होने से किसानों में भारी उत्साह है। भूमिगत जल स्तर में सुधार होने से आमजन को बड़ा फायदा होगा।

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लूणी पर निर्भर है आजीविका
लूणी नदी समूचे क्षेत्र के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। हजारों किसानों की आजीविका लूनी नदी पर निर्भर है। पानी की आवक से जलस्तर में काफी सुधार हुआ है। इससे अब खेती करना आसान होगा।
-मानाराम चौधरी, किसान, पातों का बाड़ा


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