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धोरों की धरती बाढ़मेर में दिखा हार्वेस्टिंग का अनोखा उदाहरण, 700 साल पहले रेगिस्तान में बने हैं तालाब

locationबाड़मेरPublished: May 22, 2019 02:29:40 am

Submitted by:

dinesh

वॉटर हार्वेस्टिंग ( Water Harvesting System in Barmer ) की यह कारीगरी बाड़मेर के कुलधरा ( Kuldhara ) में दिखती है…

barmer
बाड़मेर।

जंगल में 108 तालाब। एक तालाब में बरसाती पानी भरता है। ओवरफ्लो होते ही दूसरे तालाब की ओर बह पड़ता है। बहाव के रास्ते में एक-एक कर 108 तालाब को भरते हुए पानी लूणी नदी में पहुंचता है। वॉटर हार्वेस्टिंग ( Water Harvesting System in Barmer ) की यह कारीगरी बाड़मेर के कुलधरा ( Kuldhara ) में दिखती है। करीब 700 साल पहले की यह तकनीक चौंकाती है। इस क्षेत्र को बसाने वाले पालीवाल ब्राह्मणों की कल्पना में था कि यहां बाढ़ भी आ सकती है, बचाव के लिए तालाब कवास के इर्दगिर्द बनाए गए। अंतत: जहां 2006 में बाढ़ आई।
400 मिमी बारिश में फुल
बाड़मेर शहर, बिशाला और जैसलमेर तीन तरफ से बारिश का पानी बहकर बाड़मेर के उत्तरलाई, कवास, छितर का पार, बांदरा, भुरटिया गांवों से होते हुए लूणी नदी तक जाता है। 65 किमी में ये तालाब है और 400 मिमी बारिश में यह भर जाते हैं।
नीचे जिप्सम की परत
पालीवाल ब्राह्मणों ने ही जैसलमेर के पास कुलधरा गांव बसाया जो बसावट के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इन तालाबों के नीचे जिप्सम की जमीन है। पानी लगते ही जिप्सम फूल जाती है और पानी को जमीन के पैंदे में नहीं जाने देती है, लिहाजा इन तालाबों के एक बार भर जाने से पानी लंबे समय तक ठहरता है। बहाव को समझते हुए उत्तरलाई, कवास, बांदरा, छितर का पार सहित आसपास के गांवों में 108 तालाब खुदवाए थे।
पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा जैसलमेर के पास बसाया गया कुलधरा गांव के लिए कहा जाता है कि ये एक शापित और रहस्यमयी गांव है जिसे आत्माओंका का गांव भी कहा जाता है। इस गांव का निर्माण लगभग 13वीं शताब्दी में पालीवाल ब्राह्मणों ने किया था। लेकिन यह 19वीं शताब्दी में घटती पानी की आपूर्ति के कारण पूरा गांव नष्ट हो गया, लेकिन कुछ किवदंतियों के अनुसार इस गांव का विनाश जैसलमेर के राज्य मंत्री के कारण हुआ था। जैसलमेर के एक मंत्री हुआ करते थे वो गांव पर काफी शख्ती से पेश आता था इस कारण सभी ग्रामवासी, लोग परेशान होकर रातोंरात गांव छोडक़र चले गए और साथ ही श्राप भी देकर गए। इस कारण यह शापित गांव भी कहलाता है। राजस्थान सरकार ने इसे पर्यटन स्थल का दर्जा दे दिया है। इस कारण अब यहां रोजाना हज़ारों की संख्या में देश एवं विदेश से पर्यटक आते रहते है।
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