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रेस्क्यू सेंटर के अभाव में दम तोड़ रहे वन्यजीव, तीस किमी की दूरी पड़ रही भारी

पादरू ,मिठौड़ा, धनवा, दाखा गांवों में वन्यजीवों की जान खतरे में

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रेस्क्यू सेंटर के अभाव में दम तोड़ रहे वन्यजीव, तीस किमी की दूरी पड़ रही भारी

रेस्क्यू सेंटर के अभाव में दम तोड़ रहे वन्यजीव, तीस किमी की दूरी पड़ रही भारी

पादरू . राज्य पशु चिंकारा, हरिण और राज्य पक्षी मोर की धरा में फैले पादरू क्षेत्र में इनकी सुरक्षा व्यवस्था तो दूर समय पर इलाज का भी प्रबंध सरकार ने नहीं किया है। पादरू, मिठौडा, धनवा, दाखां, सिणधरी सडक़ मार्ग के आसपास सैकड़ों वन्यजीव विचरण करते वक्त वाहनों की चपेट में आने से घायल हो जाते हैं। एेसे में लोग वनविभाग को जानकारी देते हैं लेकिन यहां रेस्क्यूसेंटर नहीं होने पर इलाज के अभाव वन्यजीव दम तोड़ देते हैं। मिठौड़ा, धनवा, खारा फांटा, सिणधरी सडक़ के आसपास क्षेत्र में हर दिन हादसों में वनजीव घायल होते हैं, लेकिन आसपास रेस्क्यू सेंटर नहीं होने व इलाज के लिए सिणधरी रेस्क्यू सेंटर ले जाते हैं तब तक वन्य जीव दम तोड़ देते हैं। वन्यजीव प्रेमी श्रीराम विश्नोई ने बताया कि पादरू, मिठौड़ा, धनवा आदि गांवों में वन्यजीवों की संख्या सैकड़ों में होने के बावजूद वन विभाग की ओर से रेस्क्यू सेंटर नहीं खोला गया है।

नरेंद्र ढाका ने वन एवं पर्यावरण मंत्री को पत्र लिखकर बताया कि घायल वन्यजीवों का उपचार नहीं होने के कारण वन्यजीव प्रेमियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

ओम प्रकाश मांजु ने बताया कि पादरू सहित आसपास गावों में 30 किलोमीटर तक रेस्क्यू सेंटर नहीं होने की वजह से सैकड़ों वन्यजीव कालकलवित होते हैं। बाबूलाल खिलेरी के अनुसार क्षेत्र में वन्य जीव बहुत अधिक पाए जाते हैं। लेकिन वन्य जीव संरक्षण की कोई भी सरकारी सुविधा नहीं होने के कारण वन्य जीवों में कमी आ रही है।

सरकार ने वन्यजीवों के क्षेत्र में कदम नहीं उठाया तो आने वाले दिनों में वन्यजीव कम हो जाएंगे।


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