ग्यारसीलाल रावत पूर्व विधायक : सेंधवा विधानसभा से दोबार विधायक रह चुके ग्यारसीलाल रावत इस बार प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं। हालांकि कांग्रेस की गुटबाजी और अंदरुनी खींचतान का पहले शिकार हुए हैं। इस बार अंतरसिंह आर्य जैसे कद्दावर के सामने एक बार फिर दावेदारी की है।
सुखलाल परमार, पूर्व जिलाध्यक्ष : कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष सुखलाल परमार भी पहले चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन जीत नहीं सके।परमार को सुभाष यादव गुट का प्रमुख दावेदार माना जाता है। इस बार फिर वह टिकट के लिए भागदौड़ कर रहे हैं।
सुभद्रा परमार : पूर्व जिलाध्यक्ष सुखलाल परमार ने टिकट में विकल्प भी रखा है। यदि उन्हें टिकट न दिया जाए तो उनकी पत्नी सुभद्रा परमार को टिकट दिलाने की कोशिश में हैं। हालांकि कांग्रेस में सुभद्रा परमार भी क्षेत्र का जाना पहचाना नाम हैं।
शिव कुमार पटेल, पूर्व सरपंच वर्तमान मंडी डायरेक्टर : शिवपटेल झोपाली के पूर्व सरपंच रह चुके हैं। वर्तमान में सेंधवा मंडी के डायरेक्टर हैं। उनके पिता शोभाराम पटेल भी कांग्रेस के विधायक और मंत्री रहे चुके हैं। युवाओं में खासे लोकप्रिय खिलाड़ी के तौर पर पहचान भी रखते हैं।
सिलदार सोलंकी :युवा कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष हैं और इस बार इन्होंने भी दावेदारी की है। कांग्रेस में सक्रिय कार्यकर्ता के तौर पर पहचान रखते हैं।
भुवानसिंह जाधव जिला कांग्रेस सेवादल अध्यक्ष : दावेदारी में भुवानसिंह जाधव ने भी अपना नाम आगे किया है। फिलहाल सेवादल अध्यक्ष के तौर पर सक्रिय हैं। इनके अलावा नावसिंह नावड़े और गंगाराम सिंगोरिया ने भी दावेदारी की है।
खास बात यह है कि सेंधवा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा में सिर्फ दो ही प्रमुख दावेदारों सामने आ रहे हैं। इनमें पहला नाम वर्तमान विधायक और पशुपालन मंत्री अंतर सिंह आर्य का है। आर्य भी लगातार चुनाव जीतने वाले शख्स हैं। इससे पहले भी वह जेल मंत्रालय देख चुके हैं। इस बार भी सेंधवा से वही सबसे प्रमुख दावेदार हैं। हालांकि एक और दावेदार का हैं जिन्हें टिकट मिलने की संभवना है, लेकिन यह भी तब संभव होगा जब किसी वजह से अंतरसिंह आर्य खुद चुनाव न लड़े। यह दावेदार विकास आर्य हैं जो अंतरसिंह आर्य के बेटे भी और विधायक प्रतिनिधि के तौर पर सारा काम भी देख रहे हैं। इसके अलावा सेंधवा से किसी तीसरे शख्स से अब तक दावेदारी नहीं की है।
राजपुर विधानसभा से भाजपा के प्रमुख दावेदार
देविसींग पटेल : दावे का आधार: पूर्व विधायक रहे और पिछला चुनाव मामूली अंतर से हार गए। इस बार भी दावेदारी की है।
चुनौती : कम पढ़े लिखे हैं ऐसे में उच्च शिक्षित दावेदार कर रहे हैं।
जगदीश मुजाल्दे: ठीकरी जनपद अध्यक्ष हैं और लंबे समय से पार्टी से जुड़े हुए हैं। विधानसभा क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है, सक्रियता उस स्तर की नहीं है।
अंजना शरद पटेल : भाजपा महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष हैं और इन्हें इस बार मुख्य दावेदारों में माना जा रहा है। दिल्ली तक पहचान रखती हैं और उच्च शिक्षित हैं। महिलाओं के लिए ज्यादा स्कोप नहीं माना जाता है ऐसे में टिकट मिला भी तो काफी मेहनत करना पड़ेगी।
राजपुर विधानसभा से कांग्रेस के प्रमुख दावेदार
कांग्रेस से राजपुर विधानसभा के लिए सिर्फ वर्तमान विधायक बाला बच्चन ने ही दावेदारी की है। खेल मंत्री रहे, वर्तमान में उप नेता प्रतिपक्ष और कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी हैं। ऐसे में टिकट लगभग तय माना जा रहा है।
यह रहा था २०१३ में जीत हार का अंतर
विधानसभा : सेंधवा
८८८२१ कुल वोट भाजपा के अंतर सिंह आर्य को मिले थे
६३१३५ कुल वोट कांग्रेस के दयाराम डावर को
मिले थे
२५६८६ वोट रहा था जीत का अंतर
विधानसभा : राजपुर
८२ हजार ४०० के करीब वोट मिले थे बालाबच्चन को
७० हजार के करीब वोट देवीसिंह पटेल को मिले थे।
12496 वोट रहा था हार जीत का अंतर