
New India 2022 scheme of the center includes the district of Barwani
बड़वानी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा न्यू इंडिया 2022 प्रोजेक्ट की घोषणा में बड़वानी जिले को शामिल किए जाने पर आदिवासी जिले में विकास की उम्मीदों की रोशनी जगमगाने लगी है। देश के 115 जिलों में मप्र के आठ जिलों को न्यू इंडिया के लिए शामिल किया गया है, जिसमें पिछड़ा जिला बड़वानी भी शामिल है। प्रोजेक्ट के तहत पांच साल में जिले का कायाकल्प कर लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाया जाएगा। न्यू इंडिया प्रोजेक्ट में बड़वानी का नाम आने के बाद जिला प्रशासन भी इसकी तैयारी में जुट गया है। हालांकि अभी प्रशासन के पास योजना को लेकर कोई दिशा निर्देश नहीं प्राप्त हुए है।
विकास की गति को पंख लगने की उम्मीदें
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बड़वानी विकास की गति में पिछड़ा हुआ है। अब जिले में विकास की गति को पंख लगने की उम्मीदें बढ़ चली है। प्रधानमंत्री के न्यू इंडिया प्रोजेक्ट में शामिल बड़वानी जिले को कई सौगाते मिल सकती है। फिलहाल जिला प्रदेश के अन्य जिलों के मुकाबले शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, रोजगार सहित कई मामलों में बेहद पीछे नजर आ रहा है। प्रोजेक्ट के तहत इन सबसे निपटने की चुनौती जिला प्रशासन के सामने आने वाली है। वर्तमान में देखा जाए तो सुदूर ग्रामीण अंचलों में तो दूर शहर से लगे क्षेत्रों में ही मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। प्रोजेक्ट के तहत मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में लोगों को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा।
35वीं रैंकिंग पर है बड़वानी
देशभर में मूलभूत सुविधाओं के आधार पर हुए सर्वे में बड़वानी जिला बहुत ही पिछड़ा हुआ नजर आ रहा है। वर्तमान में बड़वानी 35वीं पायदान पर है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में स्थिति अन्य जिलों से बेहतर नजर आ रही है। स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में बड़वानी 8वें नंबर पर है। वहीं, शिक्षा के स्तर पर बड़वानी 35वीं रैंकिंग पर दिख रहा है। इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में तो बड़वानी बहुत ही पीछे नजर आ रहा है। इंफ्रा में बड़वानी को 89वीं रैंक मिली है।
ये चुनौतियां रहेगी सामने
जिले में कई क्षेत्र ऐसे है जो पहाड़ी दुर्गम क्षेत्रों में स्थित है। छोटे-छोटे फलियों में बसे गांवों में पहुंच मार्ग भी नहीं है। बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, रोजगार जैसी समस्याएं इन क्षेत्रों में मुंह बांए खड़ी है। जिले में अब तक औद्योगिक क्षेत्र भी विकसित नहीं हो पाया है। खजूरी में बने औद्योगिक क्षेत्र में भी मात्र एक इकाई काम कर रही है। वहीं, कभी कपास के क्षेत्र में जाने जाना वाला सेंधवा का कॉटन उद्योग भी जीनिंग पलायन के कारण लगभग खत्म होने की कगार पर है। रोजगार के अभाव में बड़ी संख्या में गांवों से पलायन हो रहा है। इन सबसे निपटने की चुनौती प्रशासन के सामने रहेगी।
लोगों ने बताए थे अपने विचार
कुछ माह पूर्व न्यू इंडिया 2022 को लेकर जिला प्रशासन ने लोगों से जिले में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करने के लिए विचार जाने थे। जिसके तहत निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इसमें 200 लोगों ने अपने विचार प्रकट किए थे। अधिकतर लोगों का मानना था कि जिले में मेडिकल कॉलेज, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं, उद्योग धंधों का विकास, रोजगार के क्षेत्र में बेहतर कार्य हो, कुपोषण से मुक्ति मिले, शिक्षा व्यवस्था बेहतर हो, सड़कों की स्थिति सुधारने पर जोर दिया गया था।
रेलवे लाइन की राह तक रहा जिला
आजादी के 70 साल बाद भी जिले को आज तक रेल लाइन की सौगात नहीं मिली है। वर्तमान में मनमाड़-इंदौर रेल लाइन का सर्वे चल रहा है, जिसमें बड़वानी के कुछ क्षेत्र भी आ रहे हैं। यहां लंबे समय से दाहोद-खड़वा रेल लाइन की मांग जिले में उठ रही है। रेलवे ने इसे लाभ का प्रोजेक्ट नहीं बताते हुए खारीज कर दिया है। जिसके लिए जनहित याचिका भी लगी हुई है। संविधान की 6टी अनुसूची के तहत रेल लाइन के लिए संघर्ष आज भी जारी है। न्यू इंडिया में शामिल होने से जिले में रेल लाइन आने की उम्मीदें भी बढऩे लगी है।
करेंगे दिशा निर्देश के अनुसार सर्वश्रेष्ठ कार्य
न्यू इंडिया प्रोजेक्ट को लेकर अभी विस्तृत गाइड लाइन प्राप्त नहीं हुई है। जो भी दिशा निर्देश होंगे उसके अनुसार सर्वश्रेष्ठ कार्य किया जाएगा। पूर्व में भी न्यू इंडिया 2022 के लिए निबंध प्रतियोगिता के माध्यम से लोगों के विचार जाने गए थे, उन सब को मिलाते हुए बेहतर कार्य योजना बनाई जाएगी।
-तेजस्वी एस नायक, कलेक्टर
Published on:
28 Nov 2017 11:03 am
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