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जिले के २२ शिक्षकों की नौकरी खतरे में

विधानसभा में गूंजा मामला तो शुरू हुई जांच, कई कॉलेजों की डीएड की डिग्री को माना गया था अमान्य, २०१३ से चल रहा है मामला

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Teacher contract class three in barwani

Teacher contract class three in barwani

बड़वानी. अमान्य डीएड (डिप्लोमा इन एजुकेशन) के दम पर वर्ग ३ में बतौर शिक्षक नियुक्ति के आरोपों का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। जांच अब एक पांच सदस्यों की समिति ने शुरू की है। यह मामला विधानसभा में भी उठा था और इसके बाद मिले निर्देशों के तहत जांच समिति का गठन किया गया। जिले के ऐसे २२ शिक्षकों को सोमवार को बड़वानी तलब किया गया था जिनकी डिग्री पर सवाल उठाए गए थे। जांच समिति ने इन सभी से लिखित में उनके बयान लेकर अन्य शैक्षणिक दस्तावेज भी ले लिए हैं।
मामला २०१२-१३ में हुई नियुक्तियों से जुड़ा हुआ है। वर्ग तीन शिक्षकों के मुताबिक २०११ में संविदा वर्ग तीन पात्रता परीक्षा हुई थी। इस परीक्षा को पास करने वाले वाले अभ्यर्थियों को नियुक्तियां दे दी गई थी। लेकिन कुछ अभ्यर्थियों को तकनीकी त्रुटी सुधार सूची में डाल दिया गया था। ऐसे में इन लोगों को कहीं नियुक्ति नहीं दी गई। नियुक्ति नहीं मिलने पर कुछ लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। फैसला अभ्यर्थियों के पक्ष में आया और इन अभ्यर्थियों को २०१३ में दूसरे चरण में नियुक्ति दे दी गई।
लिखित बयान और दस्तावेज लिए
सोमवार को जांच समिति के सदस्यों ने इन २२ शिक्षकों को डीईओ कार्यालय में हाजिर होने के लिए कहा। सभी लोग यहां पहुंचे। दोपहर में समिति ने सभी को अपने अपने पक्ष में लिखित बयान देने के लिए कहा गया। बयान लेने के बाद सभी से शैक्षणिक और नियुक्ति संबंधित दस्तावेज भी समिति ने लिए हैं। हालांकि आगे की क्या कार्रवाई होगी इस संबंध में कोई भी अधिकारी फिलहाल कुछ भी नहीं कह रहा है।
मप्र एक्ट में भी बंद हुए हैं कई सेंटर
खास बात यह है कि मप्र सरकार ने २०१०-११ में ही मप्र यूनिवर्सिटी एक्ट के तहत प्रदेश के ऐसे संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की थी जो दूसरे राज्यों की यूनिवर्सिटी से संबद्ध थे। मप्र यूनिवर्सिटी एक्ट में यूनिवर्सिटी के क्षेत्राधिकार में दूसरी यूनिवर्सिटी के सेंटर नहीं चलाए जा सकते हैं। इस एक्ट के तहत जब कार्रवाई की गई तो २०११ में ही जिले सहित प्रदेश के कई दूरस्थ सेंटर बंद कर दिए गए। इनकी डिग्रियों और डिप्लोमा पर भी संशय पैदा हो गया। यह मामला भी कोर्ट में गया था जहां यूजीसी के डीम्ड यूनिवर्सिटी संबंधित नियम और मप्र यूनिवर्सिटी एक्ट में असमानता की बात भी सामने आई थी।
२२ ने अलग-अलग संस्थानों से किया डीएड
२२ शिक्षक ऐसे थे जिन्होंने डीएड दूरस्थ शिक्षा के तहत अलग अलग संस्थानों से की थी। यह संस्थान धार, खरगोन के अलावा महाराष्ट्र और यूूपी के भी थे। ऐसे संस्थानों से की गई डीएड अमान्य कर दी गई और इन वर्ग तीन शिक्षकों पर कार्रवाई की गाज गिरनी शुरू हुई।
निर्देशों के तहत जांच समिति बनाई
मामला काफी पुराना है। विधानसभा में इस मुद्दे के उठने के बाद मिले निर्देशों के तहत जांच समिति बनाई गई है। इसी समिति ने सोमवार को इन शिक्षिकों को बुलाया था। बयान ले लिए गए हैं। आगे क्या होगा यह जांच समिति ही बता पाएगी।
- सीएस टैगोर, जिला शिक्षा अधिकारी बड़वानी