
जयपुर। डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता और शोधकर्ता बीनू राजपूत ने एक बार फिर अपनी नवीनतम उपलब्धि के साथ सुर्खियां बटोरी हैं। उनकी फिल्म 'बनारस: काबा-ए-हिंदोस्तान: गालिब ओड टू बनारस' को आईडीपीए नेशनल सिल्वर अवार्ड से सम्मानित किया है, जो उनके 15 साल के करियर में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। राजपूत ने सामाजिक परिवर्तन को प्रभावित करने के लिए अपने काम का लगातार उपयोग करके प्रेरक फिल्मों, पॉडकास्ट और पुस्तकों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया है।
बीनू ने कहा कि मैं इस सम्मान के लिए आभारी हूं।
मैं अभिभूत हूं कि मेरी फिल्म 'बनारसः काबा-ए-हिंदोस्तानः गालिब की ओड टू बनारस' को आईडीपीए राष्ट्रीय रजत पुरस्कार मिला है। उनकी यह फिल्म मिर्जा गालिब की 1827-1828 में बनारस की यात्रा पर आधारित है, जिसके दौरान उन्होंने बनारस घाटों का शहर के लिए गहरा स्नेह विकसित किया। गालिब ने प्रसिद्ध मसनवी, "चिराग-ए-दैर" (मंदिर का दीपक) फारसी में लिखी, जिसमें बनारस की सुंदरता का सार शामिल है। 108 छंदों वाली कविता में वे बनारस की तुलना एक सुंदर महिला के रूपक रूप से करते हैं, जिसमें गंगा उसके दर्पण के रूप में काम करती है।
बनारस में ही की शूटिंग
राजपूत ने बताया, "यह मेरी पसंदीदा फिल्मों में से एक है। इसे पूरा करने में मुझे दो साल लगे। इस फिल्म के लिए किया गया शोध कार्य बेजोड़ था। फारसी मसनवी का अंग्रेजी या हिंदी में अनुवाद करना एक चुनौतीपूर्ण काम था, लेकिन फारसी विशेषज्ञों की मदद से मैं इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में सफल रही। मैं इस फिल्म के लिए अपनी पूरी टीम को धन्यवाद देना चाहती हूं। हम लोग शूटिंग के लिए कई दिनों तक बनारस में रहे।"
यह दिखाया है फिल्म में
फिल्म में न केवल ग़ालिब की बनारस की भौतिक यात्रा को दर्शाया गया है, बल्कि बनारस की आध्यात्मिक और भावनात्मक यात्रा को भी दर्शाया गया है। शहर की शांत सुंदरता और गंगा से मंत्रमुग्ध होकर ग़ालिब महीनों तक यहीं रहे और लगभग भूल गए कि उन्हें कलकत्ता जाकर पेंशन के लिए गुहार लगाना उनका मूल उद्देश्य है। उदार रहस्यवादी और महान कवि ग़ालिब ने अपनी मसनवी में बनारस की शांति को दर्शाते हुए अपने अनुभवों को दर्ज़ किया।
फिल्म में दिखी बनारस की खूबसूरती
फिल्म को दर्शकों और आलोचकों से समान रूप से प्रशंसा मिल रही है और इसे कई राज्यों में प्रदर्शित किया जा रहा है। राजपूत ने कथक गुरु शोवना नारायण के नृत्य कार्यक्रम 'चिराग-ए-दैर' के लिए भी आभार व्यक्त किया, जिसने उन्हें फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया। राजपूत ने बनारस की कालातीत सुंदरता को खूबसूरती से कैद किया है, जो ग़ालिब को एक आदर्श श्रद्धांजलि है और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करता है।
Updated on:
14 Jun 2024 10:27 pm
Published on:
14 Jun 2024 10:26 pm
बड़ी खबरें
View Allबस्सी
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
