रिपोर्ट: सतीश कुमार शर्मा
नारेहड़ा.कोटपूतली से नीमकाथाना रोड पर 15 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत कल्याणपुरा कलां के कुहाडा गांव की पहाड़ी पर स्थित छापाला भैरूजी मंदिर का 14वां वार्षिकोत्सव 30 जनवरी को मनाया जागा। यहां भरने वाले लक्खी मेले को लेकर ग्रामीण जन सहयोग से पिछले एक माह से तैयारियों में जुटे हुए है। इस बार करीब 100 ग्रामीण जगरे में बाटे सेकने में लगे हुए है। जिससे 350 क्विंटल चूरमे की प्रसादी बनाई जा रही है। बाटे सिकने के बाद थ्रेसर से पिसाई कर चूरमे में जेसीबी से बूरा व घी मिलाया जाएगा। पूर्व में यहां पर 290 क्विंटल चूरमे का भोग लगाया गया था। अबकी बार ग्रामीणों की सहमति से प्रसादी को बढ़ाया गया है। मंदिर में वार्षिकोत्सव को लेकर भंडारा आयोजित होगा और दिन में कलाकार धमाल की प्रस्तुति देंगे। इसके अलावा भैरू बाबा मंदिर पर हैलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की जाएगी। ग्रामीणों ने बताया मेले में मुख्य अतिथि पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट शिरकत करेंगे।

ऐसे बनेगी 350 क्विंटल चूरमा प्रसादी….
-120 क्विंटल आटा
-50 क्विटंल सूजी
-25 क्विंटल देसी घी
-80 क्विंटल बूरा
-10 क्विटंल मावा
-3 क्विंटल काजू
-3 क्विंटल बादाम
-3 क्विंटल किशमिश
-7 क्विंटल मिश्रि कटिंग
-3 क्विंटल खोपरा
-50 क्विंटल दूध

ये भी परोसा जाएगा…
-70 क्विंटल दही
दाल बनाने की सामग्री….
-25 क्विंटल दाल
-30 पीपा सरसों तेल
-5 क्विंटल टमाटर
-2 क्विंटल हरी मिर्ची
-1 क्विंटल हरा धनिया

मसाला….
-60 किलो लाल मिर्च
-60 किलो हल्दी
-40 किलो जीरा
इनमें परासेंगे….
-2 लाख पतल-दोने
-4 लाख कप व चाय-कॉफी के लिए
-10 टैंकर पानी
ये देंगे सेवा….
-21 स्कूलों के करीब 5 हजार विद्यार्थी
-3 हजार पुरूष कार्यकर्ता
-500 महिला स्वयंसेवक

यह है इतिहास…..
पौराणिक मान्यता के अनुसार सोनगिरा पोषवाल प्रथम भैरूजी का परम भक्त था। जो भैरू बाबा की मूर्ति को कुहाड़ा गांव में स्थापित करना चाहता था। भैरू बाबा की मूर्ति लाने कांशीजी चला गया। भैरू ने स्वप्न में दर्शन देकर सोनगिरा से बड़े बेटे की बली मांगी। जिस पर वह बेटे की बली देकर भैरू मूर्ति लेकर चल देता है। भैरू बाबा बलिदान व परीक्षा से खुश होकर पुत्र को जीवित कर देते है। सोनगिरा पोषवाल प्रथम व उसके पुत्र ने पंच पीरों के साथ कुहाडा गांव में मूर्ति स्थापना की। स्थापना दिवस पर जागरण भण्डारे का आयोजन किया जाता है। वहीं पंचदेव खेजडी वृक्ष की आज भी पूजा होती है। जिस स्त्री के संतान सुख नहीं है वह मंडप में उपस्थित जड़ के नीचे से निकलकर मन्नत मांगती है।