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Beauty Tips in Hindi: गैस की तेज आंच भी हो सकती है महिलाओं के चहरे पर झाइयां पड़ने का कारण

Beauty Tips in Hindi: कोमल त्वचा जब इन किरणों के संपर्क में बार-बार आती है तो रंग बनाने वाले मेलोनोसाइट्स रिसेप्टर्स के प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन असंतुलित होकर झाइयों पड़ती हैं

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Deovrat Singh

Aug 24, 2021

Beauty Tips in Hindi:

Beauty Tips in Hindi: गैस की आंच, सूरज की रोशनी, कंप्यूटर स्क्रीन, ट्यूबलाइट व सीएफएल आदि से निकलने वाली पराबैंगनी किरणें चेहरे के रोग 'मेलास्मा यानी झाइयों का कारण बनती हैं। कोमल त्वचा जब इन किरणों के संपर्क में बार-बार आती है तो रंग बनाने वाले मेलोनोसाइट्स रिसेप्टर्स के प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन असंतुलित होकर झाइयों का रूप ले लेते हैं। इससे 20-50 वर्ष तक की महिलाएं अधिक प्रभावित होती हैं। जानें क्या है इलाज-

20-25 वर्ष की महिलाएं चेहरे और हाथों पर होने वाली झाइयों से ज्यादा पीडि़त हैं।
झाइयों से गर्भवती महिलाएं ज्यादा प्रभावित होती हैं। गर्भावस्था अवधि के बाद तकलीफ ठीक हो जाती है।

तनाव व खून की कमी : गर्भावस्था के दौरान तनाव, हार्मोनल बदलाव और खून की कमी भी समस्या का कारण बनती है। इन कारणों से त्वचा को समुचित पोषण नहीं मिल पाता और झाइयां उभरने लगती हैं।

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गर्भनिरोधक दवाएं भी कारण : गर्भनिरोधक दवाओं का इस्तेमाल भी बीमार बनाता है। बार-बार या लगातार इन्हें लेने से त्वचा की सेहत प्रभावित होती है। ऐसे में जब भी महिला तेज धूप, गैस की आंच या किसी अन्य तरह से निकलने वाली अल्ट्रावॉयलेट किरणों के संपर्क में आती है तो त्वचा में बदलाव आने लगते हैं। गाल, नाक और माथे पर काले निशान बनने लगते हैं जो किसी में हल्के और किसी में गहरे होते हैं। इसके अलावा मिर्गी के इलाज में ली जाने वाली दवाओं के प्रयोग से भी मेलास्मा की आशंका रहती है।

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सनप्रोटेक्शन क्रीम
झाइयों का इलाज आसान है। अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन के दुष्प्रभाव से बचने के लिए धूप से बचाव करने वाली क्रीम लगाई जा सकती है। गैस की आंच के पास कम खड़े हों या दूरी बनाकर रखें। कोशिश करें कि घर से बाहर धूप में कम निकलें। अगर निकलते हैं तो छाता लेकर जाएं और चेहरे को ढककर रखें ताकि किरणें सीधे त्वचा को नुकसान न पहुंचा सके। किन्हीं कारणों से यदि त्वचा पर झाइयां होने लगती हैं तो इलाज के तौर पर प्रभावित हिस्से पर लगाने के लिए क्रीम दी जाती है।

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