
Bemetara Factory Blast: पिरदा के स्पेशल ब्लास्ट लिमिटेड कंपनी में हुई घटना में एक मजदूर की मौत की पुष्टि हुई है वहीं आठ लापता हैं। इसमें कंपनी प्रबंधन की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। इस लापरवाही पर पर्दा डाला जा रहा है। इसके सबूत मिटाए जा रहे हैं। जिस शिफ्ट के समय विस्फोट हुआ था, उस शिफ्ट में काम करने वाले मजदूरों की एंट्री वाले रजिस्टर के पन्ने गायब कर दिए गए हैं।
इससे उस शिफ्ट में काम करने वाले मजदूरों के वास्तविक आंकड़े और उनके नाम-पते की जानकारी नहीं हो पा रही है। इसके अलावा घटना स्थल के सीसीटीवी फुटेज गायब कर दिए गए हैं। इससे घटना से जुड़े कई अहम साक्ष्य मिलना मुश्किल हो गया है। (Bemetara Factory Blast) बता दें कि शनिवार सुबह फैक्ट्री के एक यूनिट में अचानक विस्फोट हुआ। इससे वहां काम कर रहे कई मजदूरों की मौत हो गई। पुलिस ने अब तक केवल 8 लोगों के लापता होने और एक मजदूर की मौत की पुष्टि की है।
घटना में मारे गए आसपास के गांवों के मजदूरों का पता चल गया है, लेकिन दूसरे राज्य या शहरों से आकर काम करने वालों का कुछ पता नहीं चल पाया है। उनके परिजनों को भी घटना की जानकारी नहीं है। मजदूरों ने आशंका जताई है कि मृतकों की संख्या को कम बताने की साजिश के चलते ही कंपनी प्रबंधन ने अपने ऑफिस से मजदूरों की एंट्री वाले रजिस्टर के पन्ने ही गायब कर दिए हैं। (Bemetara Factory Blast) सूत्रों के मुताबिक कंपनी परिसर और हर यूनिट के पास 15 से 20 सीसीटीवी कैमरे लगे थे। इनके फुटेज भी गायब कर दिए गए हैं, ताकि किसी को कुछ पता न चल सके।
घटना के बाद स्पेशल ब्लास्ट कंपनी प्रबंधन और प्रशासन की मिलीभगत का खुलासा हो रहा है। इस फैक्ट्री में हानिकारक और उच्च ज्वलनशील बारूद बनने के बाद भी जिला औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग के अधिकारी जांच नहीं करते थे। जिला के अलावा राज्य की टीम भी फैक्ट्री के सुरक्षा उपायों और अन्य मानकों की जांच करती है, लेकिन टीम ने इसकी जांच नहीं की। (Bemetara Blast) बता दें कि जांच टीम में कलेक्टर, एसपी सहित अन्य लोग सदस्य के रूप में होते हैं। सुरक्षा के लिहाज से हर तीन माह में एक बार बैठक करना अनिवार्य है।
मृतकों के शव और उचित मुआवजे की मांग को लेकर ग्राम पिरदा, उभरा, बोरसी की महिलाएं, पुरुष कंपनी के सामने धरने पर बैठे हैं। इसके बावजूद प्रबंधन अपने सामान पीछे के रास्ते निकालते रहे। प्रदर्शनकारियों को इसकी जानकारी हुई, तो उन्हें रोका गया। (Bemetara Blast) पुलिस का दावा है कि फैक्ट्री परिसर में विस्फोटक सामान रखा है, जिसे सुरक्षा के लिहाज से हटाया गया है। दूसरी कंपनी प्रबंधन और प्रशासन के रवैए को देखते हुए ग्रामीणों की नाराजगी बढ़ती जा रही है। सोमवार को ग्रामीणों ने कंपनी में प्रवेश करने की कोशिश की। पुलिस ने चारों ओर से फैक्ट्री को घेर लिया है।
घटना के तीन दिन बाद भी पुलिस ने फैक्ट्री संचालक संजय चौधरी व अन्य के खिलाफ किसी तरह का अपराध दर्ज नहीं किया है और न ही घटना के कारणों का पता लगा पाई है। फैक्ट्री के कर्मचारियों से भी पूछताछ नहीं की गई है।
अलग से जांच टीम नहीं बनाई गई है। पूरे मामले की जांच कंडरका पुलिस थाना कर रहा है। अभी किसी के खिलाफ अपराध दर्ज नहीं किया गया है।
जिले के बेरला क्षेत्र के ग्राम बोरसी की बारूद फैक्ट्री में हुए भयानक हादसे के तीसरे दिन सोमवार को भी ग्रामीणों व मजदूरों के परिजनों ने अपनी मांग को लेकर फैक्ट्री के सामने धरना दिया। फैक्ट्री में तालाबंद छह मालवाहकों में बारूद होने को लेकर विवाद की स्थिति रही। (Bemetara Factory Blast) वहीं पिरदा के मृतक नरहर यदु के परिजनों ने सोमवार को उसका कुश का शव बनाकर अंतिम संस्कार किया। अंतिम संस्कार में ग्रामीण व परिजन शामिल हुए। पिरदा में शनिवार को स्पेशल बारूद फैक्ट्री में हुए भीषण हादसे के तीसरे दिन सोमवार को फैक्ट्री के सामने ग्रामीण, परिजन व छत्तीसगढिय़ा क्रांति सेना के कार्यकर्ता अपनी मांग को लेकर डटे रहे।
कलेक्टर रणवीर शर्मा ने बताया कि अब घटना के बाद बचाव का काम खत्म हो चुका है। उन्होंने लोगों को फैक्ट्री के पास नहीं रहने की सलाह दी है। न्यायिक जांच तक फैक्ट्री बंद रहेगी। परिसर फिलहाल सुरक्षित नहीं है। मामले की जांच की जा रही है। इसलिए प्रकरण दर्ज नहीं हो पाया है। आने वाले दिनों में वैधानिक कार्यवाही होगी।
बेमेतरा के ग्राम पिरदा स्थित स्पेशल ब्लास्ट लिमिटेड में विस्फोट से तबाह जिंदगियों के चिथड़ों के अलावा शरीर का कोई अवशेष हाथ नहीं लगा। (Bemetara Factory Blast) मलबे के ढेर को एसडीआरएफ की टीम ने हर स्तर पर देखा लेकिन सिर, सीना, पैर आदि नहीं मिले। एक घायल व्यक्ति की अस्पताल में मौत के अलावा 8 लोगों के शरीर के साढ़े चार क्विंटल अवशेष में सिर्फ पांच किलो ही मिल पाया। इसे पुलिस और एफएसएल को सौंपा गया है।
एसडीआरएफ के कमांडेंट नागेन्द्र सिंह बताते हैं कि पहली बार विस्फोट केस हैंडल करने को मिला, जो पूरी टीम के लिए डेंजर और चैलेंजिंग है, क्योंकि बिना किसी इंस्ट्रमेंट के नवतपा में सूखे बारुद के ढेर से डेडबॉडी को खोजना था। दो मंजिला बिल्डिंग और करीब 25 फीट नीचे गड्ढे के मलबे के नीचे काम करने वाले कर्मचारी दबे थे। दुर्ग और रायपुर की एसडीआरएफ टीम सूखे बारूद में मलबे को हटाने में जुटी रही।
8 बैक लोडर की मदद से काम किया जा रहा था। गनीमत रही कि दिल्ली से आए एक्सप्लोसिव डिपार्टमेंट और सेना के इंजीनियर मौके पर पहुंच गए। उन्होंने कहा कि सूखे बारुद से मलबे को हटाने में फिर से ब्लास्ट होने की आशंका है। इसलिए बारुद पर तीन दिन से लगातार पानी का छिड़काव किया जा रहा है। बैक लोडर के जोर से चिंगारी न उठे। इसके बाद मलबेे को पलटकर शवों की खोजबीन की जा रही थी।
कमांडेंट नागेंद्र सिंह ने बताया कि कर्मचारी मलबे के ढेर में समा गए। घटना की जानकारी देने वाला कोई नहीं बचा। एक्सपर्ट इसकी जांच कर रहे हैं, लेकिन कहीं न कहीं घर्षण की वजह से चिंगारी निकली और विस्फोट हो गया। यह देश की आठवीं बड़ी बारूद कंपनी है, (Bemetara Factory Blast) यहां सुरक्षा मानकों का ध्यान तो रखा जाता होगा।
Updated on:
28 May 2024 09:37 am
Published on:
28 May 2024 08:08 am
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